नयी दिल्ली, 22 जुलाई (स्पोर्ट्स न्यूज़) भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के अनुरोध पर राष्ट्रमंडल खेल महासंघ (सीजीएफ) ने शुक्रवार को ऊंची कूद खिलाड़ी तेजस्विन शंकर को आगामी बर्मिंघम खेलों में भाग लेने की अनुमति दे दी। पिछले एक महीने से उनकी भागीदारी को लेकर संशय था। आयोजकों ने शुरू में तेजस्विन के देर से हिस्सा लेने की अर्जी को खारिज कर दिया था। आईओए को अब राष्ट्रमंडल खेल महासंघ (सीजीएफ) और बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजकों से उनके प्रवेश की स्वीकृति मिल गयी है। इसकी पुष्टि प्रतिनिधि पंजीकरण बैठक (डीआरएम) के बाद हुई। आईओए से जारी बयान के मुताबिक, ‘‘ तेजस्विन शंकर की प्रविष्टि को सीजीएफ द्वारा अनुमोदित किया गया है और इसे डीआरएम के दौरान राष्ट्रमंडल खेल बर्मिंघम 2022 के खेल प्रवेश विभाग द्वारा स्वीकार किया गया है।’’ तेजस्विन के अलावा धाविका एमवी जिलना को भी भारतीय दल में शामिल करने की मंजूरी मिल गयी है। चार गुणा 100 मीटर रिले टीम की इस सदस्य को भारतीय एथलेटिक्स संघ ने पहले 37वें सदस्य के तौर पर टीम में शामिल किया था लेकिन आईओए ने 36 खिलाड़ियों से अधिक की मंजूरी नहीं दी थी। एएफआई के अधिकारियों ने इससे पहले ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया था कि जिलना को सेकर धनलक्ष्मी की जगह टीम में शामिल किया जायेगा। धनलक्ष्मी को 100 मीटर दौड़ के अलावा चार गुणा 100 मीटर रिले टीम में स्पर्धा करनी थी लेकिन वह डोप जांच में विफल रही है। इससे पहले राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजकों ने आईओए को सूचित किया कि अंतिम समय में खिलाड़ी के प्रतिस्थापन (एलएआर) को उसी स्पर्धा में भाग लेने की अनुमति दी जाती है जिस स्पर्धा से खिलाड़ी हटा हो (इस मामले में चार गुणा 400 मीटर रिले में)। राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजकों ने आईओए के अनुरोध पत्र के जवाब में कहा कि एलएआर को टीम चयन के आधार पर खिलाड़ी बदलने के लिये इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजकों के पत्र के अनुसार, ‘‘सीजीएफ संबंधित अंतरराष्ट्रीय महासंघ और सीजीएफ मेडिकल आयोग (जब सीजीएफ इसे उचित मानता है) से मशविरा करने के बाद एक ही खेल, प्रतिस्पर्धा और स्पर्धा में किसी अन्य योग्य एथलीट को मंजूरी दे सकता है जब असाधारण परिस्थितियां उत्पन्न हुई हो (जैसे चिकित्सीय परिस्थितियां, डोपिंग रोधी नियमों का उल्लंघन और अपील) जिससे खिलाड़ी बर्मिंघम 2022 में हिस्सा नहीं ले सकता हो। ’’ इसमें कहा गया, ‘‘लेकिन दुर्भाग्य से यह मुद्दा चिकित्सा परिस्थितियों के बजाय ‘डिस्क्वालीफिकेशन’ का है जिससे इस अनुरोध को मंजूर नहीं किया जायेगा। ’’ तेइस साल के तेजस्विन ने भारतीय टीम में जगह नहीं मिलने के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
भाषा
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