मेरा अंतिम लक्ष्य ओलंपिक चैंपियन बनना है – भारतीय बैडमिंटन स्टार हर्षील दानी

महज 24 साल की उम्र में हर्षील दानी ने अपने छोटे से करियर में कई सम्मान हासिल किए हैं। एशियन और बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड जूनियर चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करने से लेकर अंडर 19 सिंगल्स चैंपियन बनने, 2015 तुर्की इंटरनेशनल में उपविजेता होने , फरवरी 2016 में ऑस्ट्रियन ओपन के सेमीफाइनल में पहुंचने तक के सफ़र ने  इन्हे एक बेहतरीन शटलर बना दिया । 

स्पोगो न्यूज़ के साथ इस विशेष साक्षात्कार में, भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी हर्षील दानी ने बैडमिंटन, अपनी सबसे खास उपलब्धि, श्री उदय पवार, गोस्पोर्ट्स फाउंडेशन के तहत प्रशिक्षण, भविष्य के लक्ष्यों और बहुत कुछ के बारे में बात की ।

Q1) हर्षील, एक पेशेवर शटलर के रूप में, जो १७ वर्षों से खेल खेल रहा है, आपको पहली बार बैडमिंटन से कैसे परिचित कराया गया? किस बात ने आपको इस खेल को पेशेवर रूप से अपनाने के लिए प्रेरित किया?

जब मैं सीनियर के.जी. में था तब मैंने बैडमिंटन खेलना शुरू किया था। मैं अपने पिता के साथ जाता था जब वह मनोरंजन के लिए बैडमिंटन खेलने जाते थे । एक दिन उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मैं खेलना चाहता हूँ। उसके बाद मेरी दिलचस्पी बढ़ने लगी और मैं रोज बैडमिंटन कोर्ट जाता था। एक हठी बच्चा होने के नाते, मैं कोचिंग सेंटर में शामिल होना चाहता था क्योंकि मेरे पिता ने एक बार मुझसे पूछा था कि क्या मुझे दिलचस्पी है। 15 साल की उम्र में खिलाड़ी अपने खेल को पेशेवर रूप से लेना शुरू कर देते हैं क्योंकि उस उम्र तक आते- आते आप अंदाजा लगा सकते हैं कि बैडमिंटन खिलाड़ी के रूप में आप कैसा खेलते हैं । इस खेल का करियर छोटा है और यह 32 – 33 साल की उम्र तक ही चलता है।

Q2) आपने भारत और विदेशों में कई सम्मान हासिल किए हैं, कौन सी उपलब्धि आपके लिए सबसे खास है और क्यों?

जब मैंने घाना में अपना पहला अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट जीता, 2018 का वर्ष मेरे लिए सबसे खास और चुनौतीपूर्ण था। एक सर्जरी की वजह से मैं दबाव में था, यह करियर के लिए एक खतरनाक चोट थी । तीन महीने के अंतराल में एक और छोटी सर्जरी के साथ मेरे टखने का पुनर्निर्माण किया गया था। पूर्णतः ठीक होने के लिए मुझे बहुत कम समय मिला जो बहुत चुनौतीपूर्ण था।

Q3) वे कौन से बैडमिंटन खिलाड़ी हैं जिनके जैसा आप बनना चाहते हैं या जो आपके आदर्श हैं ?

मैंने हमेशा चीन के लिन डैन को अपना आदर्श माना है ।

bad-1 मेरा अंतिम लक्ष्य ओलंपिक चैंपियन बनना है - भारतीय बैडमिंटन स्टार हर्षील दानी

Q4) आपके कोच श्री उदय पवार के अधीन मुंबई में उदय पवार अकादमी में प्रशिक्षण का अनुभव कैसा रहा है?

वह मेरे पहले कोच हैं जिनके तहत मैंने बैडमिंटन खेला है। वह मेरे लिए एक पिता की तरह है। मैंने उनके अधीन सब कुछ सीखा है, बुनियादी बातों से लेकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय चैंपियन बनने तक। वह हमेशा एक मार्गदर्शक, समर्थक और मित्र रहे हैं। उन्होंने हमेशा मुझे सही समय पर सही सलाह दी है। उनकी हर सलाह का मैंने पालन किया है, जिसका परिणाम बहुत अच्छा रहा । 

Q5) गोस्पोर्ट्स फाउंडेशन ने आपकी अब तक की यात्रा में आपका कैसे समर्थन किया है?

गोस्पोर्ट्स ने मेरी बहुत मदद की है। अपने करियर के शुरुआती दौर में जब मैं संघर्ष कर रहा था, गोस्पोर्ट्स ने आर्थिक मामले में मेरी सहायता करनी शुरू की । उन्होंने मुझे सही फिजियो, डॉक्टर और डायटीशियन से परामर्श लेने में मदद की। उन्होंने मुझे उन बुनियादी आवश्यकताओं में सहयोग दिया है जिनकी एक एथलीट को जरूरत होती है। मुंबई से होने के बावजूद मेरा किसी से संपर्क नहीं था । एक एथलीट को एक फिजियो और डायटीशियन की जरूरत होती है, पहले मैं स्थानीय फिजियो के पास जाता था। गोस्पोर्ट्स के पास डॉक्टरों का एक मजबूत पैनल था, इसलिए उन्होंने सभी आवश्यक जरूरतों और सर्जरी से पहले और बाद में मुझे आवश्यक सहायता प्रदान की। उन्होंने मुझे आर्थिक रूप से भी मदद की है, जैसे कि मेरे टूर्नामेंट के लिए फंडिंग करना।

Q6) भविष्य के लिए आपके लक्ष्य और महत्वाकांक्षाएं क्या हैं? आप उन्हें कैसे पूरा करने की योजना बना रहे हैं?

मेरा अंतिम लक्ष्य ओलंपिक चैंपियन बनना है। मैं वो काम करना चाहता हूं जो किसी भारतीय खिलाड़ी ने नहीं किया है ।मैं उन ऊंचाइयों को छूना चाहता हूं जहाँ कोई भारतीय खिलाड़ी नहीं पहुँचा है ।यह एक ऐसी चीज है जिसे मैं हमेशा ध्यान में रखता हूं। मैं अभी से अपने शॉर्ट टर्म लक्ष्यों की योजना बना रहा हूं। मैं भी कोविड-19 से पीड़ित हूँ। इस महामारी के दौरान, मैं केवल अल्पकालिक लक्ष्यों के बारे में सोच रहा हूँ और अगर मैं अल्पकालिक लक्ष्यों को प्राप्त करना जारी रखता हूँ, तो ये मुझे उस ओर ले जाएंगे जहां मैं होना चाहता हूं। मैं अपने कोच के साथ यही योजना बना रहा हूँ। हमने एक बार में छह महीने के लिए लक्ष्य बनाए हैं ताकि मैं अपना आत्मविश्वास वापस पा सकूं और मैं खुद को आंक सकूं कि मैं कितना मजबूत हूँ, कोर्ट पर वापस आने के लिए कितना फिट हूँ।

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