मडगांव, 21 फरवरी (फुटबॉल न्यूज़) भारतीय कप्तान सुनील छेत्री को पछाड़कर हाल में इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) के शीर्ष स्कोरर बने नाइजीरिया के दिग्गज फारवर्ड बार्थोलोमेव ओगबेचे ने कहा कि उन्होंने शुरुआत में इस फुटबॉल लीग से जुड़ने की पेशकश ठुकरा दी थी।
अनुभवी स्ट्राइकर छेत्री हाल में हैदराबाद एफसी के खिलाफ शानदार प्रदर्शर करते हुए आईएसएल में 50 गोल के आंकड़े को छूने वाले पहले फुटबॉलर बने।
छेत्री और हैदराबाद के ओगबेचे दोनों के नाम 49 गोल थे लेकिन नाईजीरियाई खिलाड़ी गोल का अर्धशतक पूरा करने की दौड़ में आगे निकल गए।
चार सत्र खेलने वाले ओगबेचे हालांकि पिछले सप्ताहांत हैदराबाद की 3-2 की जीत के दौरान दो गोल दागकर छेत्री से आगे निकलने में सफल रहे। नाइजीरिया के स्ट्राइकर के नाम लीग में 51 गोल दर्ज हो गए हैं और मौजूदा सत्र में उन्होंने 16 मैच में इतने ही गोल किए हैं जिससे वह गोल्डन बूट पुरस्कार जीतने की दौड़ में हैं।
ओगबेचे ने सिर्फ 73 मैच में गोल का अर्धशतक पूरा किया जो छेत्री से 38 मैच कम हैं।
आईएसएल के साप्ताहिक पोडकास्ट लेट्स फुटबॉल लाइव में ओगबेचे ने खुलासा किया कि उन्होंने आईएसएल से जुड़ने के मौके से लगभग इनकार ही कर दिया था।
उन्होंने कहा, ‘‘पूरी ईमानदारी से कहूं तो शुरुआत में मैंने इनकार कर दिया था। मैंने इनकार कर दिया था कि मैं वहां नहीं जाने वाला।’’
ओगबेचे को उनके मित्र और एटीके के पूर्व स्ट्राइकर कालू उचे ने आश्वस्त किया कि वह 2018 में नॉर्थईस्ट यूनाईटेड एफसी की पेशकश स्वीकार कर ले।
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि मेरा एक मित्र था जो आईएसएल में खेला था। मैंने उससे बात की। मैंने आईएसएल के बारे में कुछ शानदार चीजें सुनी और इस पर दोबारा विचार किया।’’
ओगबेचे ने कहा, ‘‘दोबारा पेशकश आने पर मैंने कहा कि मैं इस पर विचार करूंगा। जब वे तीसरी बार मेरे पास आए तो मैंने इसे अधिक गंभीरता से लिया।’’
आईएसएल में चौथे सत्र में खेल रहे ओगबेचे चार अलग क्लब का हिस्सा रह चुके हैं। उन्होंने पहले सत्र में नॉर्थईस्ट यूनाईटेड के लिए 12 गोल दागे और फिर 2019-20 में केरल ब्लास्टर्स के लिए 15 गोल किए। पिछले सत्र में उन्होंने मुंबई सिटी के लिए आठ गोल किए और टीम ने आईएसएल खिताब और लीग शील्ड जीतने की दोहरी उपलब्धि हासिल की।
ओगबेचे को लगता है कि उन्होंने अपने करीबी लोगों की इच्छा के विपरीत आईएसएल से जुड़कर सही कदम उठाया।
उन्होंने कहा, ‘‘मित्रों और परिवार ने उस समय भारत नहीं जाने का सुझाव दिया। लेकिन मैंने अपने दिल की सुनी और मैं समझ गया कि अपने करियर के लिए सही विकल्प चुन रहा हूं। यह काफी अच्छा फैसला साबित हुआ। ’’
भाषा
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