नई दिल्ली, सात नवंबर (फुटबॉल न्यूज़) अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) का इरादा अपनी पुनर्गठन योजनाओं के तहत पूर्णकालिक आधार पर 50 पेशेवर रेफरी रखने का है। एआईएफएफ अध्यक्ष कल्याण चौबे ने सोमवार को यह बात कही।
एआईएफएफ रेफरी समिति की बैठक यहां फुटबॉल हाउस में हुई और इसकी अध्यक्षता फीफा के पूर्व रेफरी माइकल एंड्रयूज ने की।
चौबे ने समिति को अपने संदेश में पेशेवर रेफरी की संख्या बढ़ाने की अपनी योजना के बारे में बताया ताकि उन्हें अपने कौशल पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिल सके।
चौबे ने कहा, ‘‘हम कई सुधार करेंगे और रेफरी के मामले में अपने काम करने के तरीके का पुनर्गठन करेंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कुल मिलाकर हम अलग तरह की रणनीति अपनाने इरादा रखते हैं क्योंकि अगर हम वही करते रहे जो हम कर रहे थे तो हमें उसी तरह के परिणाम मिलेंगे। हम अपने अधिक रेफरियों को बड़े अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में अधिकारी की भूमिका निभाते हुए देखना चाहते हैं जिससे कि भारत को गर्व हो।’’
रेफरी समिति ने एलीट रेफरी विकास कार्यक्रम पर विचार-विमर्श किया जो एआईएफएफ और उसके विपणन भागीदार फुटबॉल स्पोर्ट्स डेवलपमेंट लिमिटेड (एफएसडीएल) के बीच एक संयुक्त कार्यक्रम होगा।
मुख्य रेफरी अधिकारी ट्रेवर केटल ने कई मुद्दों पर प्रस्तावित पंचवर्षीय योजना के बारे में बात की जैसे कि पेशेवर रेफरी प्रक्रिया में बदलाव का दौर, रेफरी विकास में राज्यों की भागीदारी और भारतीय रेफरी प्रणाली में प्रौद्योगिकी की शुरूआत।
समिति परियोजना के बारे में सैद्धांतिक रूप से सहमत हो गई है और सफल कार्यान्वयन के लिए एआईएफएफ प्रबंधन के साथ आने से पहले मौजूदा नीति की समीक्षा करने और आवश्यकताओं के अनुसार एक नई नीति तैयार करने का निर्णय लिया है।
समिति ने महसूस किया कि दोहरी भूमिका निभाने वाला कोई भी व्यक्ति मैच संचालन के मामले में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में बाधा बन सकता है।
यह अनुशंसा की गई थी कि जो रेफरी किसी भी कारण से इस समय निष्क्रिय हैं उन्हें 31 दिसंबर 2022 तक ऑनलाइन पोर्टल आरएएसआई के माध्यम से खुद को सक्रिय करने का अनुरोध किया जाए।
समिति ने एक राज्य रेफरी अधिकारी और एक रेफरी मूल्यांकन प्रबंधक की नियुक्ति की भी सिफारिश की।
भाषा
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