मेरा उद्देश्य चैंपियन एथलीटों को प्रशिक्षित करना और यह सुनिश्चित करना है कि वे देश का नाम रोशन करें – चेल्स्टन पिंटो, एफसी बेंगलुरु यूनाइटेड के स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग कोच

वर्तमान समय में खेलों की मांग को देखते हुए एथलीटों को अपनी शारीरिक और मानसिक शक्ति के चरम पर बने रहने की आवश्यकता है। खेल विज्ञान, डेटा संचालित विश्लेषण और उच्च प्रदर्शन प्रशिक्षण के साथ, एथलीट लगातार रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं और मानव शरीर क्या हासिल कर सकते हैं इसकी सीमाओं को आगे बढ़ा रहे हैं।

इस विषय में गहराई से जाने के लिए हमने  श्री चेल्स्टन पिंटो, एफसी बेंगलुरु यूनाइटेड के स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग कोच से बात की । श्री पिंटो ने अपनी अब तक की यात्रा, भारत में फिटनेस के विकास, मानसिक प्रशिक्षण के महत्व, चुनौतियों पर काबू पाने, विभिन्न खेल संगठनों के साथ काम करने, लॉकडाउन के दौरान फिटनेस बनाए रखने और उनके भविष्य के लक्ष्य के बारे में स्पोगो न्यूज़ के साथ इस विशेष साक्षात्कार में विस्तार से बताया । 

प्रश्न १) किस चीज़ ने आपको स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग में शामिल होने के लिए प्रेरित किया? फिटनेस के विकास के लिए आप भारत में कितनी संभावनाएं देखते हैं?

छोटी उम्र से ही मैं खेलने लगा और जब करीयर चुनने का समय आया तो , मेरे लिए एक बात बिल्कुल स्पष्ट था कि मैं जीवन भर खेलों से ही जुड़ा रहना चाहता हूं। अपनी किशोरावस्था के दौरान, जब मैं खेल रहा था, मुझे प्रशिक्षण और चोटों के संबंध में बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा, इसलिए जब मैंने अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की, तो मैं एक प्रशिक्षण केंद्र में शामिल हो गया और मुझे लगा कि यह आगे बढ़ने का सही तरीका है। मैं स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग लेना चाहता था, एथलीटों की भावी पीढ़ियों को उनकी अधिकतम क्षमता पर प्रदर्शन करने में मदद करने के लिए एक कोच बनना चाहता था। पिछले कुछ वर्षों में, फिटनेस ने वास्तव में न केवल एथलीटों बल्कि सामान्य लोगों के बीच भी पकड़ बनाई है। देश में आज कई ऐसे समूह और संगठन हैं जिन्होंने सामान्य जनता को सप्ताहांत पर दौड़ने और सप्ताह के दौरान स्वयं अभ्यास करने के लिए प्रेरित किया है। भारत में फ़िटनेस के प्रति बढ़ती जागरूकता का मुख्य कारण ऑनलाइन फ़िटनेस पर मिलने वाली जानकरियाँ , फ़िटनेस की दिशा में प्रभावित करने वाले लोग और जिम हैं जिनकी संख्या देश में दिन- ब- दिन बढ़ती जा रही है । इन सबने इस बात को प्रचारित किया है कि फिटनेस वास्तव में किसी भी व्यक्ति के लिए कैसे फायदेमंद हो सकती है। यह तो सिर्फ शुरुआत है , मुझे नज़र आ रहा है कि अगले कुछ वर्षों में वास्तव में फ़िटनेस का क्षेत्र एकदम फल- फूल जाएगा । ख़ास करके तब जब इस क्षेत्र में अधिक योग्य प्रशिक्षक आ रहे हैं, फ़िटनेस के कई मुहिम के ज़रिए पोषण ,प्रदर्शन आदि पर शिक्षा दी जा रही है । 

Q 2) आप जीवन में अन्य सभी गतिविधियों के साथ फिटनेस को कैसे संतुलित करते हैं? आपकी दैनिक दिनचर्या क्या है?

पूरे दिन के लिए मेरे पास कोई निश्चित योजना नहीं होती  क्योंकि मुझे उन एथलीटों और टीमों पर निर्भर रहना पड़ता है जिनके साथ मैं काम करता हूं। मेरे लिए फ़ुटबॉल खेलना और मेरा स्ट्रेंथ रूटीन, कुछ ऐसा है जो मैं नियमित रूप से करता हूँ और एक स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग कोच के रूप में मेरे लिए पूरे साल फिट रहना और अपने आप पर लगातार काम करना बहुत महत्वपूर्ण है ताकि मैं अपने एथलीटों को सर्वश्रेष्ठ दे सकूं।

क्यू ३) उच्चतम स्तर पर, जब अभिजात वर्ग के एथलीटों की ताकत और कंडीशनिंग के बीच अंतर इतना कम है, मानसिक स्वास्थ्य की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है?

मानसिक प्रशिक्षण उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि शारीरिक या कौशल प्रशिक्षण। मुझे लगता है कि अगर कोई एथलीट दबाव नहीं झेल सकता, तो अक्सर वह प्रतिकूल परिणाम के साथ सामने आता है। एथलीटों और कोचों के लिए ऐसे कार्यक्रम तैयार करना बहुत महत्वपूर्ण है जिसमें खेल के दौरान होने वाले तनाव, थकान और दबाव के हालात पैदा किए जाएँ ताकि एथलीट ऐसी स्थितियों का सामना करना सीखें और उन मांगों को पूरा कर सकें जो उनसे अपेक्षित है। एथलीट के प्रशिक्षण के दौरान ऐसे माहौल बनाने की जरूरत है , बल्कि मेरा मानना है कि एक एथलीट के लिए वास्तव मैच खेलने से पहले कई बार ऐसी परिस्थितियों से गुजरना बहुत ज़रूरी है । एक प्रतियोगिता के दौरान, दर्शकों की भीड़ का खिलाड़ी पर बहुत अधिक दबाव होता है, बहुत कुछ दांव पर लगा होता है लेकिन अनुभव के साथ एथलीट इसे बेहतर तरीके से संभाल सकते हैं। हमें आम जनता के रूप में यह समझना चाहिए कि एथलीट भी इंसान हैं और किसी समय उनसे भी चूक हो सकती है । उन्हें असाधारण व्यक्तियों के रूप में नहीं आंका जाना चाहिए जिन्हें हर समय सर्वोत्तम करने की बाध्यता होती है। यह मीडिया और प्रशंसकों की जिम्मेदारी है कि वे एथलीटों से अपेक्षित परिणामों के संबंध में थोड़ा और यथार्थवादी बनें ताकि हम खेल के लिए एक सहज वातावरण तैयार कर सकें। 

football-1_ejDPyfv मेरा उद्देश्य चैंपियन एथलीटों को प्रशिक्षित करना और यह सुनिश्चित करना है कि वे देश का नाम रोशन करें - चेल्स्टन पिंटो, एफसी बेंगलुरु यूनाइटेड के स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग कोच

प्रश्न ४) अब तक के अपने सफर में आपको किन-किन चुनौतियों से सामना किया है?

पहली चुनौती तो शिक्षा होगी, स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग के संबंध में, देश  में उच्च गुणवत्ता की बैचलर या मास्टर्ज़ की डिग्री नहीं है। कोचों को इस क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल करने के लिए, विदेश जाना पड़ता है जो आर्थिक रूप से व्यावहारिक नहीं है क्योंकि अंततः हम अपने देश के एथलीटों की मदद करना चाहते हैं। दूसरे, खेल उद्योग में एक न्यू कमर के रूप में प्रवेश करना मुश्किल था क्योंकि 10 साल पहले लोग इस तथ्य को स्वीकार नहीं करते थे कि एक नया व्यक्ति इस क्षेत्र में आना चाहता है। मुझे शुरुआत में बहुतों से ‘ना’ सुनना पड़ा लेकिन, इन हालातों ने मुझे आत्मनिर्भर बनाया और अपनी राह खुद बनाना सिखाया है । खेल ने मुझे यह सबक सिखाया है, जब आप गिरते है तो फिर से पूरी ताकत से ऊपर उठाने की जरुरत होती है। मुझे कुछ साल लगे लेकिन, मुझे खुशी है कि मैं इससे गुजरा । आज मैं युवा पीढ़ी को उसी से गुजरते हुए देखता हूँ और यह मेरा कर्तव्य है कि मैं उन्हें सही रास्ता दिखाऊ और उनका मार्गदर्शन करूँ । मैं निश्चित रूप से जानता हूं कि यदि आप आत्मनिर्भर हैं, तो शीर्ष पर पहुंचने का रास्ता निकलना आप खुद सीख जाएँगें । जीवन की इससे अच्छी सीख और क्या हो सकती है भला ! भले ही मेरा लक्ष्य हमेशा एथलीटों को प्रशिक्षित करना था ताकि वे अपनी अधिकतम क्षमता के अनुसार प्रदर्शन कर सकें, लेकिन मेरी शुरुआत आम लोगों के बीच हुई । मुझे खुशी है कि मैंने अलग-अलग तरह के लोगों के साथ काम की शुरुआत की जिनका उद्देश्य भी अलग-अलग था । मोटापा से ग्रसित लोग, गृहिणियाँ जो अपने लिए कोई शारीरिक गतिविधि चाहती थीं, बुजुर्ग लोग जो अपनी पीठ की दर्द से निजात पाने के लिए कोई व्यायाम चाहते थे । विभिन्न प्रकार के इन अनुभवों ने वास्तव में मेरी बहुत मदद की है । बाद में, एथलीटों को प्रशिक्षित करना आसान साबित हुआ था क्योंकि मैंने जमीनी स्तर पर प्रशिक्षण शुरू किया था । 8 से 10, 10 से 12, 12 से 14 साल की उम्र के बच्चों को प्रशिक्षण दिया था मैं पूरी प्रक्रिया से गुजरा हूँ और इससे मुझे यह वास्तव में  विभिन्न खेलों के विभिन्न प्रकार के एथलीटों का ध्यान रखने में मदद मिली । 

प्रश्न ५) आपने किन विभिन्न खेल संगठनों के साथ काम किया है? प्रशिक्षण व्यवस्था एक खेल से दूसरे खेल में कैसे भिन्न होती है?

मैंने अपना करियर एक जिम में एक ग्रुप ट्रेनर के रूप में शुरू किया, जो आम जन को प्रशिक्षण देता है। मैंने लगभग दो साल तक यह काम किया और फिर व्यक्तिगत प्रशिक्षण और समूह प्रशिक्षण का प्रमाण पत्र लिया । बाद में मैंने रैपिड स्पोर्ट फिटनेस नाम से अपनी खुद की कंपनी शुरू की, जहां मैंने शुरू में आम जनता को किराए के 5 अलग-अलग मैदानों और सरकारी पार्कों में प्रशिक्षण देना शुरू किया। मुझे खेलों का शौक था और मैंने यह सुनिश्चित किया कि मैं उस जुनून को उन लोगों में स्थानांतरित कर दूं जिन्हें मैं प्रशिक्षित करता हूं। उदाहरण के लिए, भले ही हम सप्ताह में तीन दिन प्रशिक्षण ले रहे थे, अधिकांश लोगों का लक्ष्य सप्ताहांत के दौरान 10 किमी दौड़ना या फुटबॉल या बैडमिंटन का खेल खेलना था और मेरा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि वे खेल को दर्द मुक्त और  अधिकतम क्षमता से खेलें। मेरे प्रशिक्षण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि मैं उनके साथ जो कुछ भी काम करता हूँ उसका नतीजा सप्ताह के अंत में दिखे । इससे प्रशिक्षण लेने वालों को एक लक्ष्य मिला , फिर तो यह चल पड़ा, एक केंद्र से मैं बैंगलोर के सात अलग-अलग केंद्रों में दौड़ लगाने लगा और छह महीने बाद ही मैंने खुद का  एक छोटा जिम खोल लिया । बाहरी कार्यक्रमों भी जारी रहे । मैंने उस समय जमीनी स्तर पर एथलीटों को प्रशिक्षण देना भी शुरू किया था। मैं टीम के साथ विकसित हुआ, कुछ साझेदार मिले जिन्होंने मेरे ब्रांड को विकसित करने में मेरी मदद की और डेढ़ साल बाद मैं बैंगलोर शहर के बीचों-बीच एक बहुत बड़े स्थान पर, 7500 वर्ग फुट का जिम खोल लिया वह एक परफ़ॉर्मेंस केंद्र था जहां मैंने एथलीटों और आम जनता को प्रशिक्षित किया। मैंने बहुत सारी अकादमियों और टीमों के साथ करार किया और एक तरह से मैं अपने सपने को जी रहा था। मैंने बहुत सारी टेनिस अकादमियों को प्रशिक्षण दिया उनमें से सबसे उल्लेखनीय रोहन बोपन्ना टेनिस अकादमी है जिसे मैं अपनी टीम के साथ आज भी प्रशिक्षण देता हूँ । हमारे पास कनकपुरा के स्पोर्ट्स स्कूल में एक सेंटर है जहाँ हम एक संपूर्ण प्रदर्शन कार्यक्रम चलाते हैं। इसके अलावा मैं FC  बेंगलुरु यूनाइटेड को भी प्रशिक्षित करता हूं जहाँ मेरी दोहरी भूमिका खिलाड़ी सह कोच की है। ये दो प्रमुख संगठन हैं जिनके साथ मैं वर्तमान में काम कर रहा हूं। इससे पहले बहुत सारे फुटबॉल अकादमियां, टेनिस अकादमियां, ट्रैक और फील्ड एथलीट, कुछ अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी और कुछ रणजी ट्रॉफी क्रिकेटर थे जिन्हें मैंने प्रशिक्षित किया था।

Q 6) लॉकडाउन के दौरान घर पर फिटनेस बनाए रखने के संबंध में लोगों को आपकी क्या सलाह होगी?

हम सभी एक कठिन समय से गुजर रहे हैं और हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम खुद को शारीरिक रूप से सक्रिय रखें क्योंकि वायरस को हराने में यह मददगार हो सकता है । सबसे पहली चीज जितना हो सके घूमें। यहाँ तक कि जो लोग घर से काम कर रहे हैं, उनके लिए भी यह ज़रूरी है कि वे सुनिश्चित करें कि वे हर 20 से 30 मिनट में अपनी सीट से बाहर निकल रहे हैं, कुछ कदम चलें, घूमें और थोड़ा व्यायाम करें। इसके अलावा, अगर लोगों को अपनी पसंद के अनुसार 30 मिनट के लिए सप्ताह में कम से कम चार से पांच बार कसरत करनी चाहिए- यह योग, ताकत या उच्च तीव्रता वाले कसरत (एचआईआईटी) हो सकता है ताकि खुद को फिट और मानसिक रूप से स्वस्थ रखा जा सके। मैं हर किसी को दिन में कभी भी कम से कम ५ से १० मिनट के ध्यान लगाने की सलाह देता हूं। इसके अलावा इन दिनों ऑनलाइन फिटनेस कोच, ऑनलाइन सत्र करने वाले जिम और मदद की पेशकश करने के इच्छुक पेशेवरों के साथ बहुत सारे कार्यक्रम उपलब्ध हैं। बस कुछ समूह की मदद से आप खुद को स्वस्थ रख सकते हैं। दरअसल, जिम न खुलने या बाहर जाने में सक्षम ना होने का कोई बहाना नहीं होना चाहिए। आप कहीं भी रह कर फ़िट रह सकते हैं, बस आपको इसे करने के लिए दृढ़ संकल्प की जरूरत है।

प्रश्न 7) भविष्य के लिए आपका लक्ष्य क्या हैं? आप उन्हें कैसे पूरा करने की योजना बना रहे हैं?

मेरा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि खेल देश के सभी लोगों के लिए सुलभ हो और मैं फ़िटनेस  तथा संतुलित जीवन शैली के बारे में जागरूकता फैलाना चाहता हूँ । मेरा सपना चैंपियन एथलीटों को स्काउट करने , उनका पोषण करने और प्रशिक्षित करने की है ताकि वे अपने उच्चतम स्तर पर प्रदर्शन करें और देश को गौरवान्वित करें।

 

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