कुलदीप की जगह लेने का कोई दबाव नहीं था , घरेलू क्रिकेट खेलने से मदद मिली : उनादकट

नयी दिल्ली, 27 दिसंबर ( भाषा ) बारह बरस में पहली बार भारत के लिये टेस्ट खेल रहे जयदेव उनादकट ने शानदार प्रदर्शन करके अपना ‘वादा’ निभाया ।

नयी दिल्ली, 27 दिसंबर ( भाषा ) बारह बरस में पहली बार भारत के लिये टेस्ट खेल रहे जयदेव उनादकट ने शानदार प्रदर्शन करके अपना ‘वादा’ निभाया ।

टेस्ट क्रिकेट खेलने के लिये वह किस कदर तरस रहे हैं, इसकी बानगी जनवरी में देखने को मिली जब उनका एक ट्वीट वायरल हो गया था ।

उन्होंने लिखा था ,‘‘ डियर ‘रेड बॉल’, मुझे एक मौका और दे दो ‘प्लीज’ । तुम्हें फख्र होगा, ये मेरा वादा है ।’’

उनादकट ने बांग्लादेश से लौटने के बाद पीटीआई को दिये इंटरव्यू में कहा ,‘‘ हर किसी को लगा कि मैं राष्ट्रीय टीम में वापसी की बात कर रहा हूं । मुझे लाल गेंद से क्रिकेट खेलने की उत्कंठा थी क्योंकि कोरोना के कारण रणजी ट्रॉफी फिर स्थगित हो गई थी।’’

उनादकट ने आखिरी बार 2010 में टेस्ट खेला था जिस टीम में सचिन तेंदुलकर और मौजूदा मुख्य कोच राहुल द्रविड़ भी थे । उन्होंने दूसरा टेस्ट बांग्लादेश के खिलाफ अब खेला चूंकि मोहम्मद शमी पूरी तरह से फिट नहीं थे ।

वीजा मिलने में देरी के कारण वह पहला टेस्ट शुरू होने के बाद ही बांग्लादेश पहुंचे लेकिन दूसरे टेस्ट में उन्हें कुलदीप यादव की जगह उतारा गया । पहले टेस्ट में आठ विकेट लेने वाले कुलदीप को बाहर करने से काफी विवाद खड़ा हुआ ।

उन्होंने जाकिर हसन के रूप में पहला टेस्ट विकेट लिया ।

उन्होंने कहा ,‘‘ यह मेरे कैरियर की सबसे सुनहरी यादों में से एक होगा । टेस्ट विकेट लेने की कल्पना मैं हजार बार कर चुका था ।’’

यह पूछने पर कि क्या कुलदीप की जगह लेने से कोई दबाव महसूस हुआ, उन्होंने कहा ,‘‘ बिल्कुल नहीं । जब आप अपेक्षा नहीं करते और चीजें हो जाती है तो उन्हें स्वीकार कर लेना चाहिये । मैं सिर्फ अपना योगदान देना चाहता था । घरेलू क्रिकेट खेलने से मुझे काफी फायदा मिला । ’’

Source: PTI News

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