पिथौरागढ़ (उत्तराखंड), 12 अक्टूबर (शूटिंग न्यूज़) बहुत कम लोग सुख-सुविधाओं के बीच जन्म लेते हैं लेकिन अधिक महत्वपूर्ण यह है कि आप इनका फायदा कैसे उठाते हो।
मनोज जोशी इसे अच्छी तरह जानते हैं। उन्होंने पिथौरागढ़ जिले के चंडाक में अपने इलाके में एक निशानेबाजी अकादमी बनाई। उनका लक्ष्य स्पष्ट था। वह अपनी बेटी को भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए देखना चाहते थे और उनकी बेटी यशस्वी ने अपने पिता को निराश नहीं किया।
यशस्वी दक्षिण कोरिया के देगू में नौ से 21 नवंबर तक होने वाली एशियाई एयरगन चैंपियनशिप में भाग लेने वाली भारत की 36 सदस्यीय मजबूत टीम का हिस्सा होंगी।
यशस्वी युवा महिला 10 मीटर एयर पिस्टल वर्ग में चुनौती पेश करेंगी। यह उनका पहला अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट है और मनु भाकर तथा रिद्धम सांगवान जैसी अनुभवी निशानेबाजों की टीम में मौजूदगी से निश्चित तौर पर उन्हें फायदा होगा।
यशस्वी को सोमवार को नई दिल्ली की डॉ. कर्णी सिंह निशानेबाजी रेंज में ट्रायल में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद राष्ट्रीय टीम में चुना गया।
यशस्वी के पिता और कोच मनोज ने पीटीआई से कहा, ‘‘यह उसकी कड़ी मेहनत और खेल के प्रति प्रतिबद्धता का नतीजा है।’’
जोशी खुद एक जुनूनी निशानेबाज हैं और अतीत में राज्य चैंपियन रह चुके हैं। उन्होंने अपनी बेटी को अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज बनाने के अपने सपने को साकार करने के लिए अकादमी खोली।
जोशी ने कहा, ‘‘राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर 2013 से 2017 तक 10 मीटर और 25 मीटर एयर पिस्टल वर्ग में भाग लेने के बाद मैंने पिथौरागढ़ जिले के चंडाक में अपने घर के पास ‘बुल्स आई’ नाम से निशानेबाजी अकादमी शुरू की।’’
राष्ट्रीय निशानेबाजी टीम के लिए यशस्वी के चयन से न केवल इस 17 वर्षीय निशानेबाज की प्रतिभा को पहचान मिली है बल्कि खेल में उनके कौशल को निखारने के उनके पिता के प्रयासों को भी मान्यता मिली है।
जोशी ने कहा, ‘‘यशस्वी ने 11 साल की उम्र से निशानेबाजी शुरू कर दी थी। उसने राज्य स्तर पर जूनियर और युवा वर्ग में कई पुरस्कार जीते हैं और उसी वर्ग में राष्ट्रीय स्तर पर कांस्य पदक भी जीता।’’
यशस्वी को खेल के प्रति जुनून अपने पिता से विरासत में मिला हो सकता है लेकिन उन्होंने अपनी प्रतिबद्धता और नए गुर सीखने में हमेशा दिलचस्पी दिखाई।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी एशियाई प्रतियोगिता के लिए राष्ट्रीय निशानेबाजी टीम में चयन पर यशस्वी को बधाई दी और उम्मीद जताई कि वह राज्य और देश को गौरवांवित करेंगी।
जोशी ने बताया कि उनकी अकादमी का खर्चा निजी कोष से चलता है।
उन्होंने कहा, ‘‘अकादमी की शुरुआत से हमने 13 से अधिक युवा निशानेबाजों को तैयार किया है। इन सभी ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया है। इनमें से तीन ने राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीते हैं लेकिन सरकार या किसी संगठन से कोई मदद या वित्तीय सहायता नहीं मिली। हम अपने सीमित संसाधनों के साथ इसे चला रहे हैं।’’
भाषा
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