‘आत्मविश्वास के संकट’ से राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण तक पहुंची साक्षी मलिक

बर्मिंघम, छह अगस्त (कुश्ती न्यूज़) राष्ट्रमंडल खेलों के लिये हुए कुश्ती ट्रायल्स में अगर ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक शीर्ष पर नहीं रही होती तो वह पिछले दो साल से चले आ रहे ‘आत्मविश्वास के संकट’ से पार नहीं पा पाती।

वह डगमगाये आत्मविश्वास के कारण संन्यास लेने पर भी विचार कर रही थीं।

उनकी मनोस्थिति को समझा जा सकता है क्योंकि वह घरेलू सर्किट में अपने से जूनियर पहलवानों से हार गयी थीं और छह साल पहले रियो ओलंपिक में ऐतिहासिक कांस्य के बाद कुछ भी छाप छोड़ने वाला प्रदर्शन नहीं कर पायीं।

पर ट्रायल्स में 29 साल की यह पहलवान 62 किग्रा के ट्रायल्स में किसी तरह से युवा सोनम मलिक को हराने में सफल रहीं जिससे वह कई बार पराजित हो चुकी हैं। इसेस वह बर्मिंघम खेलों के लिये भारतीय टीम में चुनी गयीं।

इसके बाद साक्षी का आत्मविश्वास लौटने लगा जिससे वह शुक्रवार को स्वर्ण पदक जीतने का प्रदर्शन करने में सफल रहीं।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरा आत्मविश्वास गिरा हुआ था। मेरे कोचों ने मुझे कहा कि मैं सीनियर और जूनियर खिलाड़ियों में सबसे फिट थी और मेरे अंदर ताकत भी है। ’’

साक्षी ने कहा, ‘‘मैं हैरान होती थी कि मेरे साथ क्या गलत हुआ। यह दुर्भाग्य ही था। मैंने मई में ट्रायल्स जीते और फिर मैंने अपने खेल पर भरोसा करना शुरू कर दिया। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक नहीं जीता था। मैं अंत तक लड़ना चाहती थी ताकि स्वर्ण पदक जीत सकूं। स्वर्ण पदक के मुकाबले में जब मैं 0-4 से पिछड़ रही थी तो भी मुझे दिक्कत नहीं हुई। मैंने ओलंपिक में भी कुछ सेकेंड रहते जीत दर्ज की थी। यहां तो तीन मिनट बचे थे। ’’

भाषा 

ये भी पढ़े : भारतीय पहलवान बजरंग 65 किग्रा के क्वार्टरफाइनल में

SHARE:

Share The Article:

Leave A Reply

Related news