पद्म श्री ब्रह्मानंद शंखवालकर ने कहा, गोलकीपिंग के कुछ पहलू नहीं बदले

नयी दिल्ली, दो फरवरी (फुटबॉल न्यूज़) पद्म श्री से सम्मानित आठवें फुटबॉलर पूर्व भारतीय कप्तान और गोलकीपर ब्रह्मानंद शंखवालकर का मानना है कि आधुनिक समय में गोलकीपिंग की कला में काफी बदलाव आया है लेकिन कुछ पहलू अब भी नहीं बदले हैं।

इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के साथ ब्रह्मानंद गोस्तो पॉल, साइलेन मन्ना, चुनी गोस्वामी, पीके बनर्जी, बाईचुंग भूटिया, सुनील छेत्री और बेमबेम देवी जैसे दिग्गज खिलाड़ियों की सूची में शामिल हो गए।

ब्रह्मानंद ने ‘डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू.द-एआईएफएफ.काम’ के साथ बातचीत में कहा, ‘‘जब मैं खेलता था तब से अब तक समय के साथ गोलकीपर में काफी सुधार आया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आजकल गोलकीपर काफी लंबे होते हैं, वे काफी फुर्तीले होते हैं। ’’

ब्रह्मानंद ने कहा, ‘‘खेल के प्रति गोलकीपर का नजरिया बिलकुल अलग होता है और वह टीम के अपने साथियों की पोजीशन को प्रभावित कर सकता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन उसे संतुलन भी बनाकर रखना होता है। जो बाकी लोग कर रहे हैं आप उसमें काफी अधिक खो नहीं सकते और इस प्रक्रिया में यह नहीं भूल सकते कि आपको क्या करना है। आपको एकाग्रता बनाए रखनी होगी और टीम के साथियों को खाली जगह को लेकर अहम निर्देश देने होते हैं। यह परिपक्वता के साथ आता है।’’

इन दिनों गोलकीपर में सुधार आया है लेकिन पद्म श्री से सम्मानित ब्रह्मानंद का मानना है कि गोलकीपिंग सीखने की प्रक्रिया के कुछ पहलू हैं जो नहीं बदले हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘अब भी जो चीज लागू होती है वह यह है कि गोलकीपर को लगातार प्रोत्साहित करना होता है, उन्हें फुटबॉलर के रूप में परिपक्व करने के लिए मैच खेलने का अधिक समय देना होता है। प्रतिस्पर्धी मानसिकता तैयार करने के लिए यह महत्वपूर्ण है।’’

इस 67 वर्षीय पूर्व खिलाड़ी का हालांकि मानना है कि खिलाड़ी के खेल में सुधार अंतत: खेल को लेकर उसके जुनून पर निर्भर करता है।

भाषा 

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