इमरान की टीम की तरह दमखम नहीं, लेकिन बाबर की अगुवाई में इतिहास दोहराने को तैयार पाकिस्तान

मेलबर्न, 11 नवंबर (क्रिकेट न्यूज़) बाबर आजम की अगुवाई में पाकिस्तान की क्रिकेट टीम के टी20 विश्व कप फाइनल में पहुंचने के साथ ही लगभग उसी तरह का मंच तैयार हो गया है जैसा कि तीस साल पहले करिश्माई कप्तान इमरान खान की अगुवाई वाली टीम के साथ यहां हुआ था।

बाबर अपने देश को पहला वैश्विक खिताब दिलाने वाले इमरान की बराबरी करने से एक कदम दूर है।

इमरान ने 39 साल की उम्र में 1992 में अपने नेतृत्व कौशल से ग्रहम गूच की अगुवाई वाली बेहद मजबूत इंग्लैंड की टीम को मेलबर्न के इसी मैदान में शिकस्त देकर पाकिस्तान को एकदिवसीय विश्व कप का चैम्पियन बनाया था।

ऑक्सफोर्ड में पढ़ाई करने वाले इमरान का रूतबा और रवैया बाबर से काफी अलग था लेकिन बाबर अपने देश के सबसे बड़े खेल नायकों में एक की बराबरी करने के करीब है।

इमरान उस टीम के हर खिलाड़ी के लिए ‘कप्तान’ थे और टीम को उनके हर फैसले को मानती थी। बाबर का रूतबा एक सहयोगी या भाई की तरह है, जो एक मुश्किल में फंसे खिलाड़ियों का भी हौसला बढ़ता है।

इमरान 25 मार्च 1992 को जब गूच के साथ टॉस के लिए मैदान पर गये तो उन्होंने सफेद गोल गले की टी-शर्ट पहनी हुई थी, जिस पर एक कोने पर बाघ की तस्वीर थी।

उस विश्व कप में भी पाकिस्तान टीम टूर्नामेंट से लगभग बाहर हो गयी थी लेकिन किस्मत और फिर शानदार खेल के दम पर फाइनल तक पहुंची। ग्रुप चरण में लगातार तीन मैच हारने के बाद चौथे मैच में टीम 74 रनों पर ऑल आउट हो गयी थी।

इस मैच में लक्ष्य का पीछा करते हुए इंग्लैंड का स्कोर जब एक विकेट पर 24 रन था तब बारिश होने लगी और मैच दोबारा शुरू नहीं हो सका। पाकिस्तान ने मैच के अंक साझा किए गए और अगले चार राउंड रॉबिन मैच जीतने के बाद सेमीफाइनल और फाइनल में जीत का परचम लहराया।

इस विश्व कप में पहली बार भारत और पाकिस्तान का आमना सामना हुआ था जिसमें मोहम्मद अजहरुद्दीन की अगुवाई वाली टीम ने पाकिस्तान को हराया था।

पाकिस्तान के साथ कुछ ऐसी ही परिस्थितियां इस विश्व कप में भी हुई। रोहित शर्मा की अगुवाई वाली टीम ने पाकिस्तान को हराया। इसके बाद जिम्बाब्वे के खिलाफ हार से टीम विश्व कप से लगभग बाहर हो गयी थी लेकिन टीम ने लगातार तीन मैच जीते और नीदरलैंड के खिलाफ दक्षिण अफ्रीका की हार के साथ सेमीफाइनल का टिकट कटाया।

पाकिस्तान ने 1992 के विश्व कप सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड को हराया था तो इस बार भी ऐसा ही हुआ। उस समय इंजमाम उल हक ने वैश्विक स्तर पर पहचान बनायी तो इस बार यह काम शुरुआती मैचों में अंतिम एकादश से बाहर रहे मोहम्मद हारिस कर रहे हैं।

रविवार के खेले जाने वाले फाइनल में पाकिस्तान की टीम जीत की बड़ी दावेदार है।

अगर 1992 की टीम में वसीम अकरम जैसे बायें हाथ के शानदार गेंदबाज थे तो इस टीम में शाहीन शाह अफरीदी हैं।

 इमरान के पास एक चतुर जावेद मियांदाद थे तो बाबर के पास मोहम्मद रिजवान में रूप में ऐसा खिलाड़ी है।

उस टीम ने रमीज राजा में रूप में पढ़ा लिखा क्रिकेटर था तो इस टीम में शान मसूद हैं, जिनकी परवरिश और पढ़ाई ब्रिटेन में हुई है।

युवा तेज गेंदबाज नसीम शाह की तुलना आकिब जावेद से की जा सकती है जबकि शादाब खान मुश्ताक अहमद की तुलना में थोड़े अधिक ऑलराउंडर क्रिकेटर हैं।

इंग्लैंड की टीम में भी जोस बटलर, एलेक्स हेल्स, क्रिस वोक्स, आदिल राशिद और मोइन अली जैसे सीमित ओवरों के दमदार क्रिकेटर हैं। वे अपने दम पर मैच का रुख पलटने का माद्दा रखते हैं।

भाषा 

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