महज 25 साल की उम्र में राधा भाटी घरेलू स्तर पर और दुनिया भर में अनेक मैच जीतकर एक ख्याति प्राप्त कुशल ताइक्वांडो एथलीट बन चुकी हैं। वह अब आगामी 2022 एशियाई गेम और 2023 में विश्व चैंपियनशिप को लेकर न सिर्फ ऊँचे लक्ष्य साध रही है बल्कि 2024 पेरिस ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए पदक जीतने का सर्वोत्तम लक्ष्य है।
इस विशेष साक्षात्कार में, राधा भाटी खेल में अपनी यात्रा के बारे में बताती है; अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करना,
चुनौतियों का सामना करना, मानसिक स्वास्थ्य का महत्व, विशेष उपलब्धियां, भविष्य के लक्ष्य और बहुत कुछ!
Q 1) अपने ताइक्वांडो की यात्रा के बारे में बताएं, आपकी शुरुआत कैसे हुई और आपने इस खेल को प्रोफेशनली क्यो चुना?
मेरी ताइक्वांडो यात्रा 2011 में शुरू हुई थी जब मेरी गर्मी की छुट्टियों के दौरान मैं सिर्फ स्टेडियम देखने गई थी। वही एक कोने में मार्शल आर्ट की कक्षाएं देखी, मुझे यही गेम सीखना था। मैं जैकी चैन और ब्रूस ली की फिल्में देखती थी, इसलिए मैं लड़ाई देखना बहुत पसंद था। इसके बाद मैंने मार्शल आर्ट ज्वाइन किया और हर दिन की ट्रेनिंग के साथ मेरी रुचि भी बढ़ती गई।
Q 2) आपने चाइना ओपन में अंडर 46 किग्रा वर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व किया जहाँ आपने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय पदक जीता। हमें उस टूर्नामेंट में अपने अनुभव के बारे में बताएं और सफलता ने आपको किस तरह बड़े उपलब्धियों के लिए प्रेरित किया?
यह वास्तव में मेरा दूसरा पदक था लेकिन विदेशी धरती पर पहला पदक था। मैं थोड़ी नर्वस थी लेकिन
बहुत उत्साह भी था क्योंकि मुझे भारत के बाहर खेलने का मौका मिल रहा था।
क्वार्टर फाइनल मैच वास्तव में दिलचस्प था क्योंकि यह एक गोल्डन पॉइंट से तय किया गया था। तीन राउंड के बाद टाई हो गया था और केवल 0.6 सेकंड बचे थे और मुझे गोल्डन पॉइंट मिल गया। भारत के बाहर अंतरराष्ट्रीय पदक जीतने की भावना अद्भुत थी।
Q 3) आपके कैरियर के अब तक का सबसे बड़ा चैलेंज क्या था? आपने उनका सामना कैसे किया?
मुझे लगता है कि सबसे बड़ी चुनौती यात्रा थी क्योंकि मैं फरीदाबाद से छतरपुर की यात्रा करती थी। मेट्रो से एक तरफ में लगभग 3 घंटे लगते थे और मैं अक्सर रात के 12 बजे घर पहुँच पाती थी। मेरे माता-पिता चिंतित रहते थे क्योंकि मैं एक लड़की हूँ और वे अक्सर मुझसे इसे छोड़ने के लिए कहते हैं जो एक बड़ी चुनौती थी जिससे मुझे निपटना था।
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Q 4) एक सफल ताइक्वांडो एथलीट होने में मानसिक स्वास्थ्य कितना महत्वपूर्ण है और क्यों?
एक सफल ताइक्वांडो एथलीट बनने के लिए मानसिक स्वास्थ्य एक अभिन्न अंग बन जाता है। भले ही आपके पास खेल का भौतिक पहलू हो, एक एथलीट के पास मानसिक पहलू भी होना चाहिए। अगर आप मानसिक रूप से मजबूत हैं तो ताइक्वांडो में बहुत कुछ हासिल करने की क्षमता रखते हैं।
Q 5) आप अपने करियर की सबसे खास उपलब्धि क्या कहेंगे और क्यों?
मेरे करियर की सबसे खास उपलब्धि इंडिया ओपन में मेरा पहला अंतरराष्ट्रीय पदक था।
इस पदक ने मेरे आत्मविश्वास बढ़ाने में काफी मदद की और बदले में मेरे प्रदर्शन को बेहतर बनाने में भी मदद की।
Q 6) आपके भविष्य के लक्ष्य क्या हैं? आप उन्हें कैसे हासिल करने की योजना बना रही हैं?
अगर शॉर्ट टर्म गोल्स की बात करें तो मैं आने वाले इंटरनेशनल टूर्नामेंट के लिए अच्छी तैयारी करना चाहती हूं विशेष रूप से इस साल एशियाई खेल और अगले साल विश्व चैम्पियनशिप के लिए क्योकि मैं वहां पदक जीतने की उम्मीद कर रही हूँ। दीर्घकालिक लक्ष्य पेरिस में 2024 ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करना है।