विशाखापट्टनम, 15 जून (क्रिकेट न्यूज़) भारतीय सलामी बल्लेबाज रूतुराज गायकवाड़ अपनी इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) फॉर्म को राष्ट्रीय टीम के प्रदर्शन में तब्दील नहीं कर सके हैं लेकिन वह इससे ज्यादा चिंतित भी नहीं है क्योंकि उनके लिये ‘मानसिक रूप से निरंतर बने रहने’ के साथ ‘प्रक्रिया पर भरोसा’ रखना मायने रखता है।
महाराष्ट्र के इस खिलाड़ी ने 36 आईपीएल मैचों में अभी तक 1207 रन बनाये हैं लेकिन 25 साल का यह खिलाड़ी छह ट्वेंटी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में महज 120 रन ही जुटा सका है जिसमें एकमात्र अर्धशतक मंगलवार को यहां दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तीसरे टी20 में बना।
यह पूछने पर कि क्या इससे वह परेशान हैं तो गायकवाड़ ने कहा, ‘‘नहीं परेशान नहीं हूं, यह खेल का हिस्सा होता है। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘पिछला साल मेरे लिये काफी अच्छा रहा था इसलिये लोगों को काफी उम्मीदें थी क्योंकि जब आपका आईपीएल और घरेलू क्रिकेट में प्रदर्शन शानदार रहा तो ऐसा होता है। ’’
इस साल आईपीएल में हालांकि उनकी फॉर्म उतार चढ़ाव भरी रही लेकिन आखिर में उन्होंने वापसी की जिससे चेन्नई सुपर किंग्स के लिये 14 मैचों में तीन अर्धशतक से 368 रन बनाने में सफल रहे।
उन्होंने कहा, ‘‘आईपीएल में विकेट थोड़ा गेंदबाजों के मुफीद था। वहां कोई सपाट विकेट नहीं था, गेंद टर्न कर रही थी और इसमें कुछ स्विंग भी थी। ’’
गायकवाड़ ने कहा, ‘‘इसलिये आईपीएल में तीन-चार मैचों में मैं कुछ में अच्छी गेंदों पर आउट हुआ, कुछ अच्छे शॉट क्षेत्ररक्षकों के हाथ में चले गये तो यह सब टी20 क्रिकेट का हिस्सा है। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘आपके लिये कुछ दिन अच्छे नहीं होते और कुछ दिन वास्तव में खराब होते हैं। लेकिन इसमें मानसिक रूप से निरंतर बने रहना और अपनी प्रक्रिया पर भरोसा बनाये रखना अहम होता है। ’’
पहले दो मैचों में गायकवाड़ ने 23 और 01 रन बनाये जिससे सलामी बल्लेबाज के तौर पर उनकी क्षमता पर सवाल उठने लगे। हालांकि उन्होंने तब अच्छी पारी खेली जब टीम को सबसे ज्यादा जरूरत थी ताकि टीम श्रृंखला में बनी रहे। उन्होंने 35 गेंद में सात चौके और दो छक्के से 57 रन बनाये।
उन्होंने कहा, ‘‘श्रृंखला के शुरूआती दो मैचों में विकेट थोड़ा कठिन था। पिछले दो मैचों में पहले बल्लेबाजी में यह आसान नहीं था लेकिन यहां का विकेट अच्छा था, गेंद बल्ले पर आ रही थी इसलिये मैंने अपना ‘गेम’ खेला। ’’
गायकवाड़ ने कहा, ‘‘मैंने कुछ भी नहीं बदला, मेरी सोचने की प्रक्रिया, सबकुछ समान थी। ’’
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