भारतीय हॉकी टीम राष्ट्रमंडल खेलों में ऑस्ट्रेलिया के दबदबे को खत्म करने उतरेगी

नयी दिल्ली, 18 जुलाई (हॉकी न्यूज़) तोक्यो ओलंपिक में चार दशक के पदक के सूखे को खत्म करने के बाद शानदार लय में चल रही भारतीय पुरुष हॉकी टीम से आगामी राष्ट्रमंडल खेलों में ऑस्ट्रेलिया के दबदबे को खत्म करने की उम्मीद है। राष्ट्रमंडल खेलों में हॉकी के शामिल होने के बाद पुरुष वर्ग में पूरी तरह से ऑस्ट्रेलिया का दबदबा रहा है और टीम ने अब तक सभी छह स्वर्ण पदक जीते हैं। इन खेलों में भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2010 (दिल्ली) और 2014 (ग्लास्गो) में रजत पदक जीतना रहा है। टीम इसके अलावा चार मौकों पर चौथे स्थान पर रही है। ऑस्ट्रेलिया के कोच ग्राहम रीड की अगुवाई में भारत ने पिछले कुछ वर्षों में शानदार प्रदर्शन किया है और ओलंपिक पदक इसकी तस्दीक करता है। अतीत में भारतीय टीम फिटनेस संबंधी मुद्दों से जूझती रही है लेकिन मौजूदा टीम को विश्व हॉकी के सबसे फिट टीमों में एक माना जाता है। बेहतर फिटनेस का असर नतीजों में दिखाई दे रहा है । तोक्यो में ऐतिहासिक कांस्य पदक जीतने के बाद भारत इस सत्र के एफआईएच प्रो लीग में बेल्जियम और नीदरलैंड बाद तीसरे स्थान पर रहा। भारतीय खिलाड़ी अगर अपनी क्षमता के अनुसार खेलते हैं तो टीम बर्मिंघम से अपने  पहले स्वर्ण के सपने को पूरा कर सकती है। राष्ट्रमंडल खेलों में हालांकि भारतीय टीम का अभियान इतना आसान भी नहीं होगा। ऑस्ट्रेलिया के अलावा भारत को न्यूजीलैंड, इंग्लैंड, कनाडा और चिर-प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान से कड़ी टक्कर मिल सकती है। भारतीय टीम पूल बी में इंग्लैंड, कनाडा, वेल्स और घाना के साथ है जबकि पूल ए में ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान और स्कॉटलैंड शामिल हैं। रीड ने स्वर्ण जीतने के बारे में पूछे जाने पर पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘इन खेलों में क्या होगा इसकी भविष्यवाणी करना मुश्किल है लेकिन कुछ भी हो सकता है। अंतरराष्ट्रीय हॉकी में टीमों के बीच का अंतर काफी कम है।’’ उन्होंने ने कहा, ‘‘ जो चीज हमारे नियंत्रण में नहीं है उस बारे में हम कुछ नहीं कर सकते हैं। हम अपनी चीजों को सुधार सकते हैं।’’ ऐसा भी नहीं है कि टीम का हर पहलू मजबूत है, टीम में अभी सुधार की कुछ गुंजाइश है जैसे कि पेनल्टी कॉर्नर को गोल में बदलना और दबाव में रक्षापंक्ति का बिखर जाना। रीड को इन मुद्दों का हल ढूंढना होगा। टीम में उप-कप्तान हरमनप्रीत सिंह, अमित रोहिदास, वरुण कुमार और युवा जुगराज सिंह के रूप में बेहतरीन पेनल्टी कार्नर विशेषज्ञ हैं, लेकिन उन्हें अपने पेनल्टी को गोल में बदलने पर काम करने की जरूरत है। इसके साथ ही भारतीय रक्षापंक्ति को प्रतिद्वंद्वी टीम के गोल रोकने के लिए बेहतर सामंजस्य बैठाने की जरूरत होगी। अनुभवी गोलकीपर पीआर श्रीजेश के रूप में भारत के पास विश्व स्तरीय गोलकीपर है। श्रीजेश के यह आखिरी राष्ट्रमंडल खेल होंगे और वह इसमें स्वर्ण पदक जीतना चाहेंगे। श्रीजेश ने कहा, ‘‘यह निश्चित रूप से मेरा आखिरी राष्ट्रमंडल खेल होगा और मैं स्वर्ण पदक के लिए बेताब हूं। ऑस्ट्रेलिया ने हालांकि अब तक सभी स्वर्ण जीते हैं, लेकिन इस टीम में ऑस्ट्रेलिया को मात देने की क्षमता है। हमने उन्हें अतीत में भी हराया है।’’ भारत के पूर्व कप्तान सरदार सिंह को भी लगता है कि भारत के पास शानदार मौका है। उन्होंने कहा, ‘‘ तोक्यो और प्रो लीग में दमदार प्रदर्शन के बाद यह टीम आत्मविश्वास से भरी हुई है। उन्हें बस मैदान पर अपना सर्वश्रेष्ठ देने की   जरूरत है अगर वे अपनी क्षमता से खेलते हैं, तो कुछ भी हो सकता है।’’ भारतीय महिला टीम से भी तोक्यो ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन करने के बाद बर्मिंघम में पदक की उम्मीद  है। टीम ओलंपिक में मामूली अंतर से पदक से चूक कर चौथे स्थान पर रही थी। भारतीय महिला टीम ने 2002 राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण और इसके चार साल बाद मेलबर्न में रजत पदक जीता। टीम 1998 और 2018 में चौथे स्थान पर रही है। इन खेलों में महिला हॉकी में भी ऑस्ट्रेलिया का दबदबा रहा है। उसने चार स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य जीते हैं। भारत और ऑस्ट्रेलिया के अलावा न्यूजीलैंड और मेजबान इंग्लैंड की टीम भी पदक की मजबूत दावेदार होगी। भारतीय महिला टीम को पूल ए में इंग्लैंड, कनाडा, वेल्स और घाना के साथ रखा गया है। ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड, स्कॉटलैंड और कीनिया की टीमें पूल बी में हैं। महिला टीम के लिए पेनल्टी को गोल में बदलना सबसे बड़ा मुद्दा रहा है। टीम और कोच यानेक शोपमैन को ड्रैग फ्लिकर गुरजीत कौर से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद होगी।

भाषा 

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