ओलंपिक खेल नहीं होने के बावजूद, मार्शल आर्ट पारंपरिक रूप से एक लोकप्रिय अनुशासन रहा है क्योंकि फिल्मों में ब्रूस ली, जैकी चैन, जीन-क्लाउड वैन डेम जैसे कुछ बहुत प्रसिद्ध नामों को अपने विख्यात तकनीक को चित्रण करते दिखाया गया है। भारत में मार्शल आर्ट को अभी भी एक 'मुख्यधारा' के खेल के रूप में अपना पैर जमाना है, जिसमें क्रिकेट और फुटबॉल की पसंद वर्तमान में युवा पीढ़ी के बहुमत की पसंद है, लेकिन 6th स्टार ब्लैक बेल्ट सिफू नईम अंसारी खिलाडियों में आत्मरक्षा और हमले के आधुनिक और प्रभावी तरीकों के प्रचार- प्रसार में अपनी भूमिका निभा रहे हैं।
ब्लैक पैंथर कमांडो के शाओलिन मार्शल आर्ट्स के संस्थापक और अध्यक्ष स्पोगो के साथ इस विशेष साक्षात्कार में, सिफू नईम अंसारी, विकास और फिटनेस में कुंग फू के लाभों के बारे में बात करते हैं, छात्रों को प्रमुख क्षेत्रो पर ध्यान केंद्रित करना, मार्शल आर्ट के फायदे, एमएमए/किकबॉक्सिंग/कॉम्बैट स्पोर्ट्स, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए भारत का टैलेंट पूल और उसके भविष्य के लक्ष्य।
Q1) क्या आप कृपया हमें बता सकते हैं कि कुंग फू सीखने से किसी के समग्र विकास और फिटनेस में कैसे मदद मिलती है?
कुंग फु सिखने से शरीर और मांस पेशियाँ तो मजबूत होता ही है मगर साथ ही सहनशक्ति, सहनशीलता भी बढ़ती है। ज़ाहिर सी बात है ज्यादा अभ्यास से ज्यादा फिटनेस आएगा और अंदर से अगर शरीर मजबूत होगा तो आंतरिक शक्ति भी बढ़ेगा और एथलिट का आत्म विश्वास बढ़ जायेगा।
Q2) शाओलिन मार्शल आर्ट्स ब्लैक पैंथर कमांडो में आप अपने छात्रों को किन प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हैं?
शाओलिन मार्शल आर्ट्स ब्लैक पैंथर कमांडो में हमारा पूरा ध्यान खिलाडियों के फिटनेस पर होता है, फिटनेस से आत्मविश्वास बढ़ता है और आत्मविश्वासन से खिलाडी सिर्फ मार्सिअल आर्ट के क्षेत्र में ही नहीं बल्कि किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ सकते है। हमारा उद्देश्य खिलाडियों के शारीरिक मजबूती के साथ साथ मानसिक तौर पर भी मजबूत करना होता है।
Q3) एमएमए / किकबॉक्सिंग / कॉम्बैट स्पोर्ट्स में भाग लेने के दौरान मार्शल आर्ट के ज्ञान के फायदे है, क्या आप इसके फायदों के बारे में विस्तार से बता सकते हैं?
मिक्स मार्सिअल आर्ट का मतलब है जिसमे फाइटर किक, पंच, पिक पॉइंट, क्लिंच, क्रॉस तकनीक का प्रयोग करके फाइट करता है। किक बॉक्सिंग में खिलाडी पंच और किक का ही ज्यादा इस्तेमाल करता है। इसमें खिलाडियों को सिमित तरीके से और जांघो एवं पेट पर प्रहार करना सिखाया जाता है। कॉम्बैट खेलों में खिलाडियों को फ्री फाइट करना होता है, जहां वे लाठी या चाकू जैसे किसी भी प्रकार के हथियारों का सामना कर सकते हैं और हम उन्हें इन परिस्थितियों को संभालना सिखाते हैं। ये तीनों खेल अपने आप में अनोखे हैं और प्रत्येक की अपनी शिक्षण पद्धति है।
Q 4) क्या आपने लोगों को लड़ाकू खेलों में प्रशिक्षित किया है या आपने इसी तरह के खेलों में भाग लिया है?
जब मैं एक बच्चा था तभी से मुझे फाइट का बहुत शौक था, जब भी मेरा फाइट होता था या मेरे कोच मुझे फाइट के बारे में बताते थे, तो ऐसा लगता था जैसे किसी बच्चे को अपना पसंदीदा खिलौना मिल गया हो। मैं अकादमी में अपने बच्चों को व्यक्तिगत रूप से किसी भी प्रतियोगिता के लिए तैयार रहने के लिए प्रशिक्षित करता हूं, यह आवश्यक नहीं है कि वे अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय या राज्यों में जाएं, मुख्य उद्देश्य उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार करना है। मेरी अकादमी से कम से कम 40-50 छात्र इन टूर्नामेंटों के लिए जाते हैं और वे अपनी क्षमताओं के प्रति आश्वस्त हैं, मेरा उपस्थित रहना मेरे छात्रों में अतिरिक्त प्रेरणा बढ़ाने का काम करता है।
Q 5) भारत में एमएमए का एक बड़ा प्रशंसक आधार है, क्या आप इसे देश में बढ़ते हुए देखते हैं?क्या हमारे पास अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भाग लेने की प्रतिभा है
एमएमए अपने आप में एक बहुत बड़ा मंच है यह खेल ट्रेंड में है और भारतीय सेलिब्रिटी द्वारा भी रुझान देखा गया है। मैं चाहता हूं कि अधिक से अधिक भारतीय एमएमए में भाग लें, ऐसा नहीं है कि हमारे पास खिलाडी नहीं है, लेकिन मैं चाहता हूं कि उन्हें सही स्रोतों से उचित समर्थन मिले ताकि किसी भी खिलाडी के प्रति नाइंसाफी न हो यह सुनिश्चित किया जा सके। एमएमए एक खतरनाक खेल है जहां कोई उचित नियम और कानून नहीं हैं, इसलिए मेरे अनुसार बच्चों की सुरक्षा के लिए कुछ नियमों को लागू करने की आवश्यकता है। ऐसा नहीं है कि एमएमए नहीं बढ़ रहा है और मैं इस बात के पक्ष में हूं कि अगर कुछ चीजों पर ध्यान दिया जाय तो काफी बच्चे इस खेल को अपना सकते है। हम भारत में इस खेल को व्यापक तौर पर बढ़ते देखेंगे।
Q 6) आपकी भविष्य की योजनाएं और लक्ष्य क्या हैं और आप उन्हें कैसे प्राप्त करने का इरादा रखते हैं?
भविष्य में मैं चाहता हूं कि सभी खेलों का विकास हो ताकि बच्चों में आत्मविश्वास का स्तर ऊंचा रहे और यह हम प्रशिक्षकों का काम है कि हम उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से प्रशिक्षित करें। मेरे हिसाब से हर बच्चा फिट होना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी उनका अनुसरण करे, खासकर आजकल जब हर बच्चा अपने फोन में तल्लीन है। एक बच्चे का आत्मविश्वास तभी बढ़ सकता है जब वे अपने फिटनेस स्तर में सुधार कर सकें, मेरे लिए सरकार को भी बच्चों के फिटनेस स्तर में सुधार के लिए पहल करनी चाहिए।