नयी दिल्ली, 18 जुलाई (फुटबॉल न्यूज़) अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (एआईएफएफ) की राज्य इकाइयां संविधान के अंतिम मसौदे के कई प्रावधानों से संतुष्ट नहीं हैं लेकिन वे फीफा (फुटबॉल का वैश्विक संचालक) प्रतिबंध से बचने के लिए बीच का रास्ता तलाशने के लिए तैयार हैं।
राज्यों संघों का प्रतिनिधित्व करने वाली सात सदस्यीय समिति ने फीफा को लिखा है कि प्रशासकों की समिति (सीओए) द्वारा तैयार अंतिम मसौदा संविधान की कई उपधाराएं भेदभावपूर्ण और अतार्किक है।
यह पत्र उच्चतम न्यायालय द्वारा खेल के संचालन के लिए नियुक्त सीओए द्वारा 13 जुलाई को फीफा और राज्य संघों को अंतिम मसौदा संविधान भेजे जाने के बाद लिखा गया है।
राज्य एक अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर बताया , ‘‘ हम इसमें बीच का रास्ता निकलने के लिए तैयार है। ऐसा नहीं होना चाहिये कि एक पक्ष जो कहे वही माना जाये। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि फीफा से कोई प्रतिबंध न लगे। मुझे उम्मीद है कि हर हितधारक भारतीय फुटबॉल की भलाई के लिए इस अवसर पर आगे आयेगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ हमें उम्मीद हैं कि फीफा द्वारा तय समय सीमा तक चीजों को सुलझा लिया जायेगा। हमें फीफा के प्रतिबंध को झेलने से बचना चाहिए।’’
यह पता चला है कि राज्य संघों को 20 से ज्यादा मुद्दों पर आपत्ति है , जिसमें से पांच से छह बड़े मुद्दे है। इसमें सबसे बड़ा मसला एआईएफएफ की आम सभा में राज्य संघ से दो मतदान सदस्यों में से एक पूर्व खिलाड़ी का होना अनिवार्य है।
संविधान के अंतिम प्रारूप के अनुच्छेद 20.2 के अनुसार, एआईएफएफ की बैठक में प्रत्येक पूर्ण सदस्य का प्रतिनिधि दो लोगों के द्वारा किया जायेगा जिसमें से एक उस राज्य (संघ) का एक प्रतिष्ठित खिलाड़ी होना चाहिये। पूर्ण सदस्य राज्यों (संघों) के दोनों प्रतिनिधियों के पास एक-एक मत डालने का अधिकार होगा।
मसौदा संविधान में 12 सदस्यीय कार्यकारी समिति में उपाध्यक्ष रखने का प्रावधान नहीं है लेकिन राज्य संघ चाहते है कि इसमें प्रत्येक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले पांच उपाध्यक्ष हों।
भाषा
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