बेंगलुरु, 4 नवंबर (भाषा) रचिन रविंद्र ने इस साल जुलाई में जब हट हॉक्स क्रिकेट क्लब के साथ बेंगलुरु का दौरा किया था, तब वह भी किसी अन्य क्रिकेटर की तरह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में खेलने का सपना देख रहे थे।
लेकिन इसके तीन महीने बाद 23 वर्षीय रविंद्र एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में बल्लेबाजी कर रहे थे तो दर्शक ‘रचिन, रचिन’ चिल्ला रहे थे। उनका नाम रचिन राहुल द्रविड़ और सचिन तेंदुलकर के नाम को मिलाकर बनाया गया है लेकिन अब उन्होंने अपनी खुद की अलग पहचान बना ली है।
बाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने शनिवार को विश्व कप में अपना तीसरा शतक लगाया। पाकिस्तान के खिलाफ उन्होंने 108 रन की पारी खेली। इससे पहले वह इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शतक लगा चुके थे। रविंद्र किसी एक विश्व कप में तीन शतक लगाने वाले न्यूजीलैंड के पहले बल्लेबाज बन गए हैं।
पाकिस्तान के खिलाफ लगाया गया शतक हालांकि उनके लिए विशेष है क्योंकि उन्होंने यह सैकड़ा उस शहर में लगाया जहां से उनका परिवार संबंध रखता है। उनके पिता रवि कृष्णमूर्ति क्रिकेट के धुर प्रशंसक थे और न्यूजीलैंड जाने से पहले बेंगलुरु में क्लब क्रिकेट खेला करते थे।
उनके दादा-दादी, प्रसिद्ध शिक्षाविद् बालकृष्ण अडिगा और पूर्णिमा अडिगा दक्षिण बेंगलुरु में रहते हैं और वे इस मैच को देखने के लिए स्टेडियम में मौजूद थे। रविंद्र ने शतक जमा कर उनके लिए यह खास दिन बना दिया।
बालकृष्ण ने कहा,‘‘हमें बहुत खुशी है कि उसने यहां शतक जमाया। दर्शक उसका नाम लेकर चिल्ला रहे थे जो हमारे लिए अद्भुत अनुभव था।’’
पूर्णिमा ने कहा,‘‘उसके पिता भी क्रिकेट के शौकीन थे इसलिए हमें हैरानी नहीं हुई की रचिन ने क्रिकेट को चुना। उसके पिता ने हमेशा उसका साथ दिया। हमें बस यही अफसोस है कि रचिन अपने राष्ट्रीय कर्तव्यों के कारण हमारे साथ पर्याप्त समय नहीं बिता पाया लेकिन उम्मीद है कि ऐसा जल्द होगा।’’
Source: PTI News