वर्ष 2022 में परिवर्तन के दौर से जूझता रहा भारतीय क्रिकेट

(कुशान सरकार)

Hardik Pandya to lead India once again

(कुशान सरकार)

नयी दिल्ली, 29 दिसंबर (भाषा) विराट कोहली के पाकिस्तान के खिलाफ लगाए गए कलात्मक छक्कों ने कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक क्रिकेट प्रशंसकों को भले ही जश्न मनाने का मौका दिया अन्यथा वर्ष 2022 में भारतीय क्रिकेट परिवर्तन के दौर से ही गुजरता रहा जिसमें उसे कुछ निराशाजनक परिणाम भी मिले।

भारतीय क्रिकेट के लिए अच्छी खबर 48000 करोड़ रुपए का आईपीएल मीडिया अधिकार करार रहा जिससे क्रिकेट के पारिस्थितिक तंत्र में बाजार के महत्व का पता चलता है। मैदान पर हालांकि भारतीय टीम कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाई।

इसकी शुरुआत दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट श्रृंखला की हार से हुई जिसके बाद कोहली ने लंबे प्रारूप की कप्तानी छोड़ दी। इस बीच भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) से भी उनके अच्छे संबंध नहीं रहे तथा उन्हें वनडे की कप्तानी से हटा दिया गया।

यह सब जनवरी में हुआ और साल के समाप्त होने तक कोहली के उत्तराधिकारी रोहित शर्मा से टी20 टीम की कप्तानी चली गई। उनकी जगह हार्दिक पंड्या को सबसे छोटे प्रारूप का कप्तान बनाया गया है। रोहित को टी20 विश्व कप के सेमीफाइनल में इंग्लैंड के हाथों हार का खामियाजा भुगतना पड़ा।

भारतीय टीम ने द्विपक्षीय श्रृंखलाओं में बेहतर प्रदर्शन किया लेकिन वैश्विक प्रतियोगिताओं में वह फिर से अपनी छाप छोड़ने में नाकाम रही। कुछ द्विपक्षीय श्रृंखलाओं में प्रतिस्पर्धा भी खास नहीं थी। यही वजह रही विराट कोहली के अफगानिस्तान (टी20) और बांग्लादेश (वनडे) के खिलाफ लगाए गए शतक लोगों का बहुत अधिक ध्यान नहीं खींच पाए।

कोहली के पाकिस्तान के हारिस रऊफ पर लगाए गए छक्के की चर्चा क्रिकेट जगत में खूब रही लेकिन कप्तान रोहित और केएल राहुल सहित शीर्ष क्रम के बल्लेबाजों का टी20 विश्व कप में ढीला रवैया भी चर्चा का विषय बना। इस बीच मुख्य कोच राहुल द्रविड़ के कुछ फैसलों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

फिर चाहे वह तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह को पूरी तरह फिट नहीं होने के बावजूद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी20 श्रृंखला में उतारना हो या फिर टी20 विश्व कप में युज़वेंद्र चहल का उपयोग नहीं करना या बांग्लादेश के खिलाफ पहले टेस्ट मैच में मैन ऑफ द मैच चुने गए कुलदीप यादव को अगले टेस्ट में से बाहर करना हो। द्रविड़ किसी भी समय यह साबित नहीं कर पाए कि वह एक चतुर रणनीतिकार हैं।

रोहित की खराब फॉर्म भी एक मसला रहा लेकिन सबसे अधिक निराश केएल राहुल ने किया। यह स्पष्ट हो गया कि चेतन शर्मा की अगुवाई वाली चयन समिति ने उनमें नेतृत्वकर्ता का जो गुण देखा था उसमें वह खरे नहीं उतर पाए। यही वजह रही कि टी20 में उनकी जगह सूर्यकुमार यादव और वनडे में हार्दिक पंड्या को उपकप्तान नियुक्त कर दिया गया।

श्रेयस अय्यर का टेस्ट और वनडे में लगातार अच्छा प्रदर्शन और ऋषभ पंत का टेस्ट मैचों में मैच विजेता प्रदर्शन जैसे कुछ सकारात्मक पहलू भी रहे। शुभमन गिल ने भी शीर्ष स्तर पर अपनी क्षमता दिखाई जबकि इशान किशन ने अपने कौशल की झलक बिखेरी।

इस साल इशांत शर्मा और रिद्धिमान साहा के अंतरराष्ट्रीय करियर का भी अंत हुआ। शिखर धवन को भी लगातार लचर प्रदर्शन के बाद अब बाहर कर दिया गया है और उनकी वापसी भी संभव नहीं लग रही है।

भारतीय टीम के टी20 विश्व कप में लचर प्रदर्शन के बाद चेतन शर्मा की अगुवाई वाली चयन समिति को बीसीसीआई ने बर्खास्त कर दिया था।

महिला क्रिकेट में लगभग दो दशक तक भारतीय टीम के मुख्य अंग रहे मिताली राज और झूलन गोस्वामी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा। मिताली की जगह लेने के लिए काफी बल्लेबाज हैं लेकिन हरमनप्रीत कौर की अगुवाई वाली टीम के गेंदबाजों को देखते हुए लग रहा है की झूलन की जगह भरना आसान नहीं होगा।

रेणुका सिंह को छोड़कर किसी भी तेज गेंदबाज ने प्रभाव नहीं छोड़ा और यही कारण रहा कि शिखा पांडे ने 15 महीने बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी की।

इस बीच एक सीनियर खिलाड़ी के साथ मतभेद के कारण रमेश पोवार को महिला टीम के कोच पद से हटा दिया गया।

प्रशासनिक स्तर पर पूर्व कप्तान सौरव गांगुली का बीसीसीआई अध्यक्ष के रूप में कार्यकाल खत्म हुआ। उच्चतम न्यायालय से उन्हें आगे भी अध्यक्ष बने रहने की अनुमति मिल गई थी लेकिन बोर्ड ने उनकी जगह पूर्व तेज गेंदबाज रोजर बिन्नी को कमान सौंप दी।

Source: PTI News

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