भारतीय टीम में दिखी अनुभव की कमी, विदेशी कोच की जरूरत नहीं थी : धनराज पिल्लै

(मोना पार्थसारथी)

(मोना पार्थसारथी)

नयी दिल्ली, 19 जनवरी ( भाषा ) चार बार के ओलंपियन महान फॉरवर्ड धनराज पिल्ले ने कहा कि पेरिस ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करने से चूकी भारतीय महिला हॉकी टीम में अनुभवी खिलाड़ियों की कमी नजर आई और उन्हें नहीं लगता कि टीम को विदेशी कोच की जरूरत है ।

रांची में चल रहे एफआईएच ओलंपिक महिला हॉकी क्वालीफायर में तीसरे स्थान के मुकाबले में जापान ने भारत को 1 . 0 से हराया । जर्मनी और अमेरिका फाइनल में पहुंचकर पहले ही क्वालीफाई कर चुके हैं ।

तोक्यो ओलंपिक में ऐतिहासिक चौथे स्थान पर रहने के बाद से भारतीय महिला हॉकी टीम का पूरा फोकस पेरिस ओलंपिक पर था लेकिन एशियाई खेलों के जरिये टीम सीधे क्वालीफाई करने से चूक गई थी । यह क्वालीफायर उसके पास एकमात्र मौका था जिसे भी उसने गंवा दिया ।

चार ओलंपिक और चार विश्व कप खेल चुके धनराज ने भाषा को दिये इंटरव्यू में कहा ,‘‘ पिछले एक डेढ साल में महिला हॉकी कोच को पूरी स्वतंत्रता दी गई । लेकिन तीन चार अनुभवी खिलाड़ी टीम में वापसी के लिये तरसते रहे जिन्हें सीनियर बोलकर टीम से निकाल दिया ।’’

उन्होंने तोक्यो ओलंपिक में टीम की कप्तान रही रानी रामपाल का नाम लिये बगैर कहा ,‘‘ इन लड़कियों ने घरेलू हॉकी और राष्ट्रीय खेलों में अच्छा प्रदर्शन किया । सीनियर खिलाड़ियों को टीम में रखकर कैसे अच्छा प्रदर्शन कराना है , यह कोच के हाथ में होता है । उन्हें मौका दिये बिना बाहर करना सही नहीं था । इसका नतीजा सामने है ।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ यही समय था कि अनुभवी खिलाड़ियों को जूनियर खिलाड़ियों का मार्गदर्शन करने के लिये टीम में होना चाहिये था । फॉरवर्ड लाइन में तालमेल नहीं था हालांकि टीम को वंदना कटारिया की कमी खली जो चोट के कारण बाहर थी ।’’

धनराज ने कहा ,‘‘ मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ था जब 1998 एशियाई खेलों के बाद मेरे समेत सात लोगों को बाहर किया था लेकिन मैं छह साल और खेला ।’’

उन्होंने कहा कि पूर्व भारतीय खिलाड़ियों की अनदेखी करके विदेशी कोच लाने की कोई जरूरत नहीं थी जब नतीजे ही नहीं मिल रहे ।

उन्होंने कहा ,‘‘ मुझे नहीं लगता कि हमें विदेशी कोच की जरूरत थी । हमारे पास हरेंद्र सिंह जैसा एफआईएच क्वालीफाइड कोच था जिसकी अनदेखी की गई । वह आज अमेरिका का हाई परफार्मेंस कोच है और हमें जूनियर विश्व कप जिता चुका है ।’’

धनराज ने कहा ,‘‘ मैं भारतीय हॉकी की सेवा करना चाहता था लेकिन किसी ने मुझे भी कोच बनने के लिये नहीं कहा । हॉकी मेरा जीवन है और जुनून भी लेकिन मेरी सेवायें लेने की कभी कोशिश ही नहीं की । अगर पेशकश मिलती तो मैं बिल्कुल तैयार था और अपने अनुभव से काफी कुछ दे सकता था ।’’

उन्होंने भारतीय खिलाड़ियों को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि टीम आत्ममुग्धता की शिकार दिखी और गलतियों से सबक लेने की कोशिश नहीं की ।

उन्होंने कहा ,‘ जापान के खिलाफ नौ पेनल्टी कॉर्नर पर गोल नहीं कर पाना कोई छोटी बात नहीं है । खिलाड़ियों को ओलंपिक वर्ष को देखते हुए सोशल मीडिया से थोड़ी दूरी बनाकर रखनी चाहिये थी । भटकाव से बचकर ही प्रदर्शन पर फोकस हो सकता है ।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ सरकार खेलों पर इतना खर्च कर रही है और प्रधानमंत्री आपसे खुद मिलते हैं । ऐसे में आपका भी फर्ज बनता है कि बदले में प्रदर्शन पर पूरा फोकस रखे ।’’

धनराज ने कहा कि अब इस झटके से महिला हॉकी को उबरने में काफी समय लगेगा ।

उन्होंने कहा ,‘‘ओलंपिक क्वालीफाई नहीं करने से महिला हॉकी काफी पीछे चली जायेगी । बीजिंग ओलंपिक 2008 के लिये क्वालीफाई नहीं करने के बाद पुरूष हॉकी टीम को भी उबरने में काफी समय लगा था । अब सही रणनीति बनाकर आगे बढने की जरूरत है ।’’

भाषा मोना

Source: PTI News

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