नाम्या को चैम्पियन बनाने में कोच के अलावा मामा संजीव राजपूत की अहम भूमिका

नयी दिल्ली, पांच अक्टूबर (शूटिंग न्यूज़) महज 14 साल की उम्र में पेरू में जूनियर विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतकर सबको चौकाने वाली नाम्या कपूर ने अपने मामा और तीन बार के ओलंपियन संजीव राजपूत की राह पर चलना शुरु कर दिया है। नाम्या अपने मामा के साथ  बड़ी बहन खुशी से भी प्रेरणा लेती है। खुशी निशानेबाजी राष्ट्रीय टीम में चयन का दरवाजा खटखटा रही है। परिवार में निशानेबाजों की मौजूदगी के अलावा घर से बाहर उनका ख्याल ‘समर्पित’ कोच अंकित शर्मा रखते हैं। नाम्या पिछले कुछ साल से फरीदाबाद स्थित अंकित की अकादमी में प्रशिक्षण ले रही है। नाम्या ने सोमवार को हमवतन स्टार निशानेबाज मनु भाकर को पीछे छोड़कर महिलाओं की 25 मीटर पिस्टल स्पर्धा का स्वर्ण पदक जीता। इससे वह 14 साल की उम्र में शीर्ष अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में पदक जीतने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय निशानेबाज बन गयी ।    नाम्या फाइनल में 36 अंक बनाकर शीर्ष स्थान हासिल किया। वह फ्रांस की कैमिली जेद्राजेवस्की (33) और 19 वर्षीय ओलंपियन भाकर (31) से आगे रही।  कपूर परिवार अपनी सबसे छोटी बेटी के शानदार कारनामे से बहुत खुश है लेकिन हैरान नहीं हैं। उनकी मां गुंजन ने मंगलवार को पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘हमें नाम्या और खुशी से उम्मीदें हैं क्योंकि दोनों निशानेबाजी में काफी मेहनत करती हैं और  प्रतिभाशाली भी हैं।’’ गुंजन ने अपनी दोनों बेटियों के विकास और सफलता का श्रेय अंकित को दिया।उन्होंने कहा, ‘‘अंकित ने निशानेबाज के रूप में उनके विकास में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जिस तरह से उन्होंने काम किया है उससे वह विश्व चैंपियनशिप में नाम्या के स्वर्ण पदक के लिए हर श्रेय के हकदार हैं।’’ अंकित ने हालांकि श्रेय लेने से बचते हुए कहा कि नाम्या में शानदार निशानेबाज बनने की काफी संभावनाएं है। अंकित की इस बात से राजपूत भी सहमत दिखे। राजपूत ने कहा, ‘‘नाम्या और खुशी में प्रतिभा है और वे देश के लिए बड़ी संभावनाएं हैं। सिर्फ निशानेबाजी में ही नहीं, वे पढ़ाई में भी तेज हैं।’’ राजपूत ने कहा, ‘‘  दोनों के साथ उनके कोच काम कर रहे हैं, जब भी हम पारिवारिक समारोहों के दौरान मिलते हैं तो मैं उनकी मदद करने की कोशिश करता हूं। ज्यादातर मौकों पर मैं उन्हें प्रोत्साहित करने की कोशिश करता हूं और इस खेल की सामग्री मुहैया कराकर मदद करता हूं।’’ अंकित ने कहा, ‘‘संजीव भाई की सलाह से काफी मदद मिलती है। परिवार की भूमिका काफी अहम होती है।’’

भाषा

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