डब्ल्यूएफआई का फैसला, अगर निलंबन नहीं हटा तो ‘सरकारी खर्च के बिना’ वाली व्यवस्था पर काम करेंगे

नयी दिल्ली, 29 मार्च (भाषा) भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) ने शुक्रवार को अपनी विशेष आम बैठक (एसजीएम) में फैसला किया कि खेल मंत्रालय अगर उसके निलंबन हटाने के अनुरोध पर विचार नहीं करता है तो वह ‘सरकारी खर्च के बिना’ काम करने के मॉडल के अनुसार संचालन शुरू कर देगा।

नयी दिल्ली, 29 मार्च (भाषा) भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) ने शुक्रवार को अपनी विशेष आम बैठक (एसजीएम) में फैसला किया कि खेल मंत्रालय अगर उसके निलंबन हटाने के अनुरोध पर विचार नहीं करता है तो वह ‘सरकारी खर्च के बिना’ काम करने के मॉडल के अनुसार संचालन शुरू कर देगा।

खेल की विश्व संचालन संस्था यूडब्ल्यूडब्ल्यू द्वारा निलंबन हटाये जाने के बाद और भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के महासंघ का कामकाज देख रहे तदर्थ पैनल को भंग करने के बाद डब्ल्यूएफआई ने नोएडा में एसजीएम करायी।

इन दोनों फैसलों के बाद डब्ल्यूएफआई के चुने गये अधिकारियों के लिए महासंघ का कामकाम अपने हिसाब से करने का रास्ता खुल गया लेकिन सरकार ने अभी तक उस पर लगा निलंबन नहीं हटाया है।

सरकार का कहना था कि डब्ल्यूएफआई ने नियमों का उल्लंघन किया है और चुनाव कराने के तीन दिन बाद महासंघ को निलंबित कर दिया जिसमें संजय सिंह को अध्यक्ष चुना गया था।

एसजीएम में सभी 25 राज्य संघों ने हिस्सा लिया लेकिन विरोधी गुट के महासचिव प्रेम चंद लोचब इसमें शामिल नहीं हुए ।

डब्ल्यूएफआई के एक सूत्र ने पीटीआई से कहा, ‘‘इस बात पर सहमति हुई कि हम सरकार से निलंबन हटाने का अनुरोध करेंगे। यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने निलंबन हटा लिया है और तदर्थ समिति भी भंग कर दी गयी है इसलिए महासंघ पर निलंबन को जारी रखने का कोई मतलब नहीं है। ’’

सूत्र ने कहा, ‘‘अगर खेल मंत्रालय अनुरोध पर विचार नहीं करता है और वित्तीय सहायता प्रदान करने के खिलाफ फैसला करता है तो हमने सर्वसम्मति से फैसला किया है कि हम सरकार से कोई भी खर्च लिये बिना अपना कामकाज कर देंगे। ’’

सरकार पहलवानों की ट्रेनिंग, टूर्नामेंट और विदेशों में अभ्यास के लिए दौरों के लिए फंड देती है।

अगर डब्ल्यूएफआई इस नयी व्यवस्था के अंतर्गत काम करता है तो उसे खुद ही राष्ट्रीय शिविरों का इंतजाम करना होगा और संचालन भी खुद ही करना होगा।

डब्ल्यूएफआई ने अपने संविधान में एक संशोधन भी किया है कि नये पद के लिए चुनाव लड़ने वाले किसी भी उम्मीदवार को दो तिहाई बहुमत से जीतने की जरूरत नहीं है।

सूत्र ने कहा, ‘‘अगर कोई संयुक्त सचिव या सचिव किसी अलग पद जैसे अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने का फैसला करता है तो अब से सिर्फ बहुमत से ही काम हो जायेगा अगर कोई उम्मीदवार अपने पद पर ही चुने जाने का प्रयास कर रहा है तो उसे दो तिहाई बहुमत से जीतना जरूरी होगा। ’’

डब्ल्यूएफआई के हालिया चुनाव में संजय सिंह को अध्यक्ष पद के लिए दो तिहाई बहुमत से चुनाव जीतना जरूरी था क्योंकि वह महासंघ के पिछले कार्यकाल में संयुक्त सचिव थे।

वहीं डब्ल्यूएफआई ने अपने संविधान से उस अनुच्छेद को हटा दिया है जिसके अंतर्गत किसी राज्य संघ को राष्ट्रीय संस्था से मान्यता प्राप्त करने के लिए राज्य ओलंपिक समिति (एसओसी) से मान्यता प्राप्त करने की शर्त को पूरा करना होता था।

सूत्र ने कहा, ‘‘अब से राज्य संघ के लिए डब्ल्यूएफआई से मान्यता ही काफी होगी। ’’

वहीं सभी 25 राज्य संस्थाओं को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया कि चुनाव कराने और अपना कामकाज करने के लिए खेल संहिता का पालन किया जाये। साथ ही सभी के लिए उम्र और कार्यकाल संबंधित दिशानिर्देशों का पालन करना भी जरूरी होगा।

Source: PTI News

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