खुद को एक बार फिर साबित करने का समय: गीता फोगाट

गोंडा (उत्तर प्रदेश), 11 नवंबर (कुश्ती न्यूज़) तीन साल के ब्रेक के बाद एक बार फिर प्रतिस्पर्धा पेश करने को तैयार पहलवान गीता फोगाट के पास प्रेरणा की कोई कमी नहीं है लेकिन वह अपनी दूसरी पारी को लेकर थोड़ी नर्वस हैं।

अगले महीने 33 बरस की होने और पहले बच्चे के जन्म के बाद काफी लोगों ने गीता से कहा कि उनके लिए कुश्ती दोबारा पहले जैसी नहीं रहेगी क्योंकि पिछले तीन साल में ना सिर्फ खेल बल्कि उनकी शरीर भी बदल गया है।

गीता हालांकि सफल वापसी के लिए प्रतिबद्ध हैं। और हो भी क्यों नहीं, आखिर महिला खिलाड़ियों के लिए मां बनने या अधिक उम्र के बाधा नहीं बनने के उदाहरण मौजूद हैं।

यहां राष्ट्रीय चैंपियनशिप के साथ वापसी की तैयारी कर रही गीता ने पीटीआई से कहा, ‘‘काफी लोग मुझे कहते हैं कि उम्र मेरे पक्ष में नहीं है। आपको पता है कि लोग कैसे होते हैं। वे मुझे ये चीजें कहते रहते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन मारिया स्टेडनिक (अजरबेजान की) को देखिए। वह 33 साल से अधिक उम्र की है और दो बच्चों की मां है। उसके नाम चार ओलंपिक पदक और विश्व चैंपियनशिप में कई पदक हैं। अगर आपके पास फिटनेस है और आप एकाग्र हो तो आप कर सकते हो।’’

गीता ने कहा, ‘‘मैंने अपनी फिटनेस पर कड़ी मेहनत की है और खुद को एक बार फिर साबित करने का समय है।’’

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छाप छोड़ने वाली भारत की शुरुआती महिला पहलवानों में शामिल रही गीता ने कहा कि खेल को छोड़ने के ख्याल से ही वह निराश हो जाती हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अपने करियर में काफी सफलता हासिल की लेकिन मुझे अब तक यह अहसास नहीं हुआ है कि खेल को छोड़ने का समय आ गया है। यह खेल मेरे खून में है। मैं 20 साल से ऐसा कर रही हूं।’’

गीता ने कहा, ‘‘मन नहीं मानता छोड़ने का। खेल को छोड़ने के विचार से मैं डर जाती हूं। मेरे दिमाग में पेरिस ओलंपिक है।’’

गीता ने पिछले कुछ हफ्ते अपने पति पवन सरोहा के रिश्तेदार द्वारा दिल्ली के चलाए जा रहे अखाड़े में बिताए। उन्होंने सिर्फ पुरुष पहलवानों के साथ ट्रेनिंग की जिसके फायदे और नुकसान दोनों हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘उस अखाड़े में काफी मजबूत लड़कियां नहीं थी इसलिए मैंने वहां पुरुष पहलवानों के साथ ट्रेनिंग की। इसलिए मजबूती और स्टेमिना कोई मुद्दा नहीं है। मैं कह सकती हूं कि तीन साल पहले जब मैंने ब्रेक लिया था उसकी तुलना में अधिक फिट हूं।’’

गीता ने कहा, ‘‘मैंने लड़कियों के साथ ट्रेनिंग नहीं की है इसलिए मुझे नहीं पता कि मैं अपनी प्रतिद्वंद्वियों के लिए मजबूत हूं या कमजोर। मुझे नहीं पता कि आज मेरे खेल की स्थिति क्या है। लड़कियों के साथ ट्रेनिंग करने पर ही सही आकलन होगा। राष्ट्रीय चैंपियनशिप से पहले स्टेमिना, फिटनेस और ट्रेनिंग अच्छी रही है।’’

गीता ने स्वीकार किया कि महिला कुश्ती के स्तर में सुधार हुआ है और वह भारतीय टीम में सिर्फ संख्या बढ़ाने के लिए शामिल नहीं होती। उन्हें सम्मान दिया जाता है और खतरा माना जाता है।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत में महिला कुश्ती के स्तर में काफी सुधार हुआ है। यह अब अलग स्तर पर है। कुश्ती अब तेज हो गई है। अब हम अपनी तकनीक को निखारने और समझदारी से खेलने पर अधिक ध्यान देते हैं। सरकार भी अब खिलाड़ियों का समर्थन कर रही है और इससे भी बड़ा अंतर पैदा हो रहा है।’’

 

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