मैं 2024 के पेरिस ओलंपिक में पदक जीतना चाहता हूं: शौर्य चक्रवर्ती

हाल ही में 2022 विश्व चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाई करने के बाद, ताइक्वांडो एथलीट शौर्य
चक्रवर्ती अपने सपनों को साकार करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। वर्तमान में पीस तायक्वोंडो अकादमी के साथ प्रशिक्षण ले रहे है, उन्होंने इससे पहले फुजैरा ओपन में भारत के लिए जूनियर पुरुष में ताइक्वांडो चैंपियनशिप, 55 किग्रा भार वर्ग के तहत रजत पदक जीता था और अब ताइक्वांडो विश्व चैंपियनशिप के साथ-साथ पेरिस ओलंपिक पर भी उनकी निगाहें हैं।
इस एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में शौर्य चक्रवर्ती ने अपने अब तक के सफर के बारे में बता रहे है: उनके करियर की मुख्य उपलब्धियां, चुनौतियों पर काबू पाना, मानसिक स्वास्थ्य का महत्व और उनका भविष्य लक्ष्य।
Q 1) हमें अपनी ताइक्वांडो यात्रा के बारे में बताएं, आपका खेल से परिचय कैसे हुआ और आपने इसे पेशेवर रूप से क्यों लिया?

मैंने 2015 में ताइक्वांडो की शुरुआत की थी लेकिन उससे पहले मैं 2013 से कराटे करता था
बचपन से ही मार्शल आर्ट में दिलचस्पी है। मैं बहुत सारी मार्शल आर्ट फिल्में देखता था जो जिससे मुझे इस खेल को अपनाने के लिए प्रेरणा मिली। 1 साल अभ्यास करने के बाद मेरे परिवार ने कहा कि लड़ाई अच्छी नहीं है और वे चाहते थे कि मैं इसके बजाय क्रिकेट खेलना शुरू कर दूं। 2014 में उन्होंने मुझे क्रिकेट खेलना शुरू करने के लिए मजबूर किया
लेकिन 2-3 दिनों के बाद मुझे एहसास हुआ कि क्रिकेट मेरे लिए नहीं है क्योंकि मैं इसको एन्जॉय नही कर रहा था। फिर 2015 में मैंने हठपूर्वक मेरे परिवार से मुझे ताइक्वांडो में शामिल होने के लिए कहा। 8 महीने के भीतर मैंने राज्य चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता।

Q 2) आपके करियर की सबसे खास उपलब्धियां क्या हैं और क्यों?

मेरी सबसे खास उपलब्धि 2020 में फुजैरा ओपन जो कि एक रैंकिंग इवेंट था, में मेरा रजत पदक जीतना था।  मैंने अब विश्व चैम्पियनशिप 2022 के लिए क्वालीफाई कर लिया है।
Q 3) अपने करियर में आपने किन सबसे बड़ी चुनौतियों का सामना किया है?
हाल ही में, एक रैंकिंग टूर्नामेंट से ठीक एक हफ्ते पहले मैंने अपने पिता को खो दिया। वह समय बहुत चुनौतीपूर्ण था क्योंकि मैं मानसिक रूप से बहुत परेशान था। मैं चैंपियनशिप की तैयारी कर रहा था जब मुझे खबर मिली तो मुझे घर जाना पड़ा। मैं सिर्फ एक दिन के लिए रुका और जैसा मैं चाहता था प्रशिक्षण के लिए वापस आ गया
पदक जीतने के लिए चैंपियनशिप में जाने के लिए। वह कठिन दौर था लेकिन मैं फिर भी वहाँ गया
और स्वर्ण पदक जीता।

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Q 4) आपकी कुछ ताइक्वांडो आदर्श कौन थे,  जिनसे आप प्रेरित हुए हैं?

मैं व्यक्तिगत रूप से किसी विशेष खिलाड़ी को नहीं देखता क्योंकि मैं ताइक्वांडो वीडियो देखता हूं और
उनके कौशल को अपना लेता हूँ, जिसे मैं अपने खेल में लागू कर सकता हूं। मुझे आशा है कि ये कौशल मुझे एक बेहतर एथलीट बनने में मदद करेंगे और मेरे अंतिम लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी।

Q 5) टूर्नामेंट से पहले आप खुद को कैसे तैयार करते हैं? बड़े स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में मानसिक शक्ति का क्या महत्व है?

जब कुछ चैंपियनशिप निकट आ रही हैं, तो एथलीट उसी के अनुसार योजना बनाते हैं जैसे कोच बनाते हैं। मानसिक और शारीरिक दोनों गतिविधियों के लिए दिनचर्या निर्धारित करना होता है। हम खिलाड़ी के रूप में अपने देश के लिए मानसिक रूप से पदक जीतने के लिए संकल्प लेते हैं। ताइक्वांडो में आपको मानसिक रूप से मजबूत होना होता है क्योंकि आपको नही पता होता है कि आप का प्रतिद्वंद्वी मानसिक रूप से कितना मजबूत है, इसलिए आपको हर संभावना के लिए मानसिक रूप से तैयार रहना होता है।

प्रश्न 6) आपके भविष्य के लक्ष्य क्या हैं और आप उन्हें कैसे प्राप्त करने की योजना बना रहे हैं?

अभी शॉर्ट टर्म लक्ष्य के तौर पर ताइक्वांडो विश्व चैंपियनशिप में पदक जीत कर ऐसा करने वाले पहला भारतीय बनना है। मेरा दीर्घकालिक लक्ष्य 2024 पेरिस ओलंपिक में क्वालीफाई करना और पदक जीतना है।

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