रिजर्व के तौर पर मिला अनुभव मैदान में काम आया : सिमरनजीत

नयी दिल्ली, 15 अक्टूबर ( हॉकी न्यूज़ ) भारतीय हॉकी टीम के स्टार मिडफील्डर सिमरनजीत सिंह का मानना है कि कई बार रिजर्व बेंच पर बैठना वरदान भी साबित होता है और रिजर्व खिलाड़ी के तौर पर उनका अनुभव तोक्यो ओलंपिक में अच्छे प्रदर्शन में काम आया ।

हॉकी इंडिया के पॉडकास्ट ‘ हॉकी ते चर्चा’ में विशेष मेहमान के तौर पर आये सिमरनजीत ने अपने कैरियर ओर तोक्यो ओलंपिक पर बात की । भारतीय टीम ने तोक्यो में 41 साल बाद ओलंपिक में कांस्य पदक जीता ।

सिमरनजीत ने सीनियर टीम में पदार्पण के बाद मार्गदर्शन के लिये सीनियर खिलाड़ियों को श्रेय दिया । उन्होंने बताया ,‘‘ सरदार सिंह उसी पोजिशन पर खेलते थे जहां मैं खेलता हूं । मैं हमेशा से उनका खेल देखता था और उनकी सलाह को ध्यान से सुनता था ।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ वह हमेशा कहते हैं कि हर मौके का पूरा उपयोग करो । हर शिविर में वह कहते थे कि अपना सौ फीसदी दो और टीम में रहने की भूख हर दिन चयनकर्ताओं को महसूस कराओ ।’’

तोक्यो ओलंपिक में उनका सफर परीकथा से कम नहीं रहा । रिजर्व बेंच से टीम में शामिल होने के बाद उन्होंने जर्मनी के खिलाफ कांस्य पदक के मुकााबले में दो गोल किये । वह जून में चुनी गई मूल टीम का हिस्सा नहीं थे ।

उन्होंने कहा ,‘‘ हर खिलाड़ी की तरह मुझे लगता था कि 16 सदस्यीय टीम में जगह मिलनी चाहिये थी । मुझे पता था कि कोच को मुझ पर भरोसा है । जब मुझे पता चला कि रिजर्व खिलाड़ी भी तोक्यो जायेंगे तो पहले मुझे यकीन नहीं हुआ । मुझे फिर पता चला कि रिजर्व होने पर भी मुझे कम से कम एक मौका खेलने का मिलेगा । मैं उसका पूरा उपयोग करना चाहता था ।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ मैने बेंच से न्यूजीलैंड और आस्ट्रेलिया की टीमों का खेल देखा और यह मंथन करता रहा कि इन हालात में बेहतर प्रदर्शन कैसे कर सकता हूं । इससे मुझे वास्तव में खेलने पर काफी मदद मिली ।’’

भाषा

 

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