अखिल भारतीय रैंक 1 कशिश मलिक देश की सबसे प्रतिभाशाली ताइक्वांडो खिलाड़ियों में से एक है। वह पहले ही जकार्ता एशियाई खेलों के क्वार्टर फाइनल में पहुंच चुकी हैं और फिलहाल अगले साल अप्रैल में होने वाली विश्व चैंपियनशिप के लिए प्रशिक्षण ले रही हैं।
स्पोगो न्यूज़ के साथ इस विशेष साक्षात्कार में, उन्होंने ताइक्वांडो से परिचित होने और पेशेवर रूप में अपनाने, चुनौतियों पर काबू पाने, भारत में खेल की क्षमता, भविष्य के लक्ष्यों और बहुत कुछ के बारे में बात की!!
प्रश्न 1) ताइक्वांडो से आपका परिचय पहली बार कब हुआ था? आपको पेशेवर रूप से खेल को अपनाने के लिए किस बात ने प्रेरित किया?
मुझे 14 साल की उम्र में एक शौकिया एथलीट के रूप में इस खेल से परिचित कराया गया था। शुरू में, मुझे ताइक्वांडो को आगे बढ़ाने के लिए कोई प्रेरणा नही थी, लेकिन मैं इस खेल के साथ बनी रही और 16 साल की उम्र तक इतनी गहराई से जुड़ गई कि मैं एक पेशेवर खिलाड़ी बन गई। ताइक्वांडो भारत में प्रसिद्ध नहीं है, इसलिए यह मेरे जैसे एथलीटों पर निर्भर करता है कि वे इसका प्रोफाइल बढ़ाएं। खेल को आगे बढ़ाने के लिए यह मेरी प्रेरणाओं में से एक है।
प्रश्न 2) पेशेवर रूप से ताइक्वांडो को आगे बढ़ाने में आपको किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा है? आपने उन्हें कैसे मात दी?
चुनौतियाँ और असफलताएँ जीवन का एक हिस्सा हैं और जब आप एक ऐसे कॉम्बैट खेल का अनुसरण कर रहे होते हैं जिसे भारत में मान्यता नहीं मिलती है, तो यह और भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है। एक ताइक्वांडो एथलीट के चोटिल होने की आशंका होती है और 2019 में, मुझे विश्व चैम्पियनशिप से ठीक दो महीने पहले ACL Tear चोट लगी थी। हालांकि, मैंने विशेष डॉक्टरों और अपने कोचों के साथ अपना पुनर्वास और प्रशिक्षण जारी रखा। यह एक कठिन स्थिति थी क्योंकि मेरा लिगामेंट पूरी तरह से फट गया था। मामला तब बदतर हो गया जब टूर्नामेंट करीब आ गया और मेरा वीजा रद्द कर दिया गया था, इसलिए यह एक निराशाजनक अनुभव था।
मुझे सर्जरी करानी पड़ी और चार महीने के पुनर्वास के बाद वापस आई जिसके बाद मैं दक्षिण एशियाई खेलों के लिए चयन ट्रायल के लिए गई जहां मैंने स्वर्ण पदक जीता। यह मेरा जुनून था जो मुझे लक्ष्य के तरफ ले गया और असंभव, संभव बन गया। प्रारंभ में, डॉक्टर नहीं चाहते थे कि मैं भाग लूं और ठीक होने पर ध्यान केंद्रित करूं लेकिन मैंने अपने घुटने की ताकत के लिए एक परीक्षण किया जिसके बाद डॉक्टरों ने मुझे प्रतिस्पर्धा करने के लिए हरी बत्ती दी। यह हमेशा एक जोखिम होता है जब इस तरह के शारीरिक रूप से मांग वाले खेल में रिकवरी की अवधि इतनी कम होती है लेकिन मैं हमेशा सकारात्मक थी और मैंने स्वर्ण पदक जीता।
प्र 3) आपके करियर में अब तक आपके कुछ सबसे बड़े प्रेरणा स्रोत कौन रहे हैं और क्यों?
अगर मैं ईमानदारी से कहूं तो कोई भी मेरे लिए उस तरह की प्रेरणा नहीं रहा है। मैं एक ऐसी महिला हूं जो दूसरों के लिए प्रेरणा बनना चाहती है और मेरी मानसिकता मुझे बाहरी स्रोत से प्रेरणा लेने की अनुमति नहीं देती है। हालांकि, मेरे कोच मेरे जीवन में एक प्रभावशाली कारक हैं क्योंकि वह खुद विश्व चैंपियन हैं। मेरा मानना है कि प्रेरणा भीतर से आनी चाहिए और आपको अपने लक्ष्यों को स्वयं पाना चाहिए।
Q 4) भारत में ताइक्वांडो के लिए आप कितनी संभावनाएं देखते हैं? इसका दोहन करने के लिए क्या करना चाहिए?
भारत एक बड़ा देश है और इसकी एक बड़ी आबादी है। मेरा मानना है कि भारतीय एथलीट मेहनती हैं और उनमें सफल होने की क्षमता है, उन्हें केवल प्रशिक्षण शिविरों और चैंपियनशिप में अधिक अनुभव की आवश्यकता है। हालांकि, वित्तीय कारण से कई एथलीटों को अपनी क्षमता हासिल नही कर पाते और मीडिया/सरकारों को बदलाव लाने के लिए पहल करनी चाहिए ताकि ताइक्वांडो में अधिक पदक जीते जा सकें।
Q 5) जकार्ता एशियाई खेलों के क्वार्टर फाइनल में पहुंचने का अनुभव कैसा रहा?
जकार्ता एशियाई खेलों के क्वार्टर फाइनल में पहुंचने का अनुभव अविस्मरणीय है और मेरे जीवन में हमेशा रहेगा। इसने मुझे साबित कर दिया कि भारत क्षमता के मामले में कमजोर नहीं है और इस खेल में कुछ भी हासिल करने की क्षमता रखता है। भले ही मैं कोरिया के खिलाफ क्वार्टर फाइनल में विश्व चैंपियनशिप के स्वर्ण पदक विजेता से हार गई, लेकिन मैं पूरे संघर्ष में निडर रही और कभी भी भयभीत महसूस नहीं किया। चैंपियनशिप ने मुझे बहुत कुछ सिखाया।
प्रश्न 6) भविष्य के लिए आपके लक्ष्य क्या हैं और आप उन्हें कैसे प्राप्त करने की योजना बना रहे हैं?
मेरे पास लघु और दीर्घकालिक दोनों लक्ष्य हैं। मेरा ध्यान अभी अप्रैल 2022 में विश्व चैम्पियनशिप पर है। मेरे कोच ने चैंपियनशिप के लिए प्रशिक्षण योजना पहले ही निर्धारित कर रखी है और मैं निश्चित ही पदक जीत कर आऊँगी।