नयी दिल्ली, 14 दिसंबर (भाषा) सिद्रा मुस्कान और निधि मिश्रा भले ही दृष्टिबाधित हों लेकिन उन्होंने सपने देखना बंद नहीं किया।
मुस्कान (19 वर्ष) का सपना 2024 पेरिस पैरालंपिक खेलों में लंबी कूद में उपलब्धि हासिल करना है। निधि (28 वर्ष) 2018 एशियाई पैरा खेलों में कांस्य पदक जीत चुकी हैं और उन्हें चक्का फेंक में पोडियम स्थान हासिल करने का भरोसा है।
दिल्ली की दो पैरा एथलीट दृष्टिबाधित खिलाड़ियों के लिए तीन दिवसीय राष्ट्रीय एथलेटिक्स चैंपियनशिप में सभी के लिये प्रेरणा की स्रोत होंगी। इस चैम्पियनशिप के लिए त्यागराज स्टेडियम में 650 से अधिक दृष्टिबाधित खिलाड़ियों का एक ही लक्ष्य – देश को गौरवान्वित करने का होगा।
सिद्रा जब आठ साल की थी तब उनके माता-पिता को उसके दृष्टि कम होने का पता चला था। उनके पिता एक ड्राइवर हैं और उन्होंने अच्छा इलाज पाने के लिए हर संभव कोशिश की। लेकिन जन्मजात बीमारी के कारण सिद्रा की दृष्टि अब 30 प्रतिशत ही बची है।
सिद्रा 2021 पीसीआई राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में लंबी कूद में रजत और 1500 मीटर स्पर्धा में कांस्य पदक जीत चुकी हैं। 2022 के चरण में उन्होंने 400 मीटर में कांस्य पदक जीता था। उन्होंने कहा, ‘‘पांच भाई बहनों में से चार को यह विकार है और मेरी तो बस 30 प्रतिशत दृष्टि बची है। ’’
उनका अगला लक्ष्य हांग्जो में एशियाई पैरा खेलों के लिए क्वालीफाई करने के अलावा पेरिस खेलों के दल में शामिल होने की कोशिश करना है।
उन्होंने कहा, ‘‘नीरज चोपड़ा (तोक्यो ओलंपिक खेलों की भाला फेंक स्पर्धा के स्वर्ण पदक विजेता) के प्रदर्शन ने मुझे बहुत उम्मीद और भरोसा दिया कि मैं भी लंबी कूद में क्वालीफाई कर सकती हूं और पदक जीत सकती हूं। ’’
लेडी श्रीराम कॉलेज की छात्रा को ट्रैक स्पर्धा में सहायता के लिए एक गाइड की जरूरत होती है, जिसमें उन्हें लंबी छलांग में एक लाइन अधिकारी से ‘जंप’ कॉल पर भरोसा करना पड़ता है।
उन्होंने कहा, ‘‘ट्रैक स्पर्धा आसान है क्योंकि मेरे पास एक गाइड होता है लेकिन मेरी पसंदीदा स्पर्धा लंबी कूद है जिसमें खुद ही सब कुछ करना होता है। जैसे ही मैं लाइन के पास पहुंचती हूं, लाइन जज ‘जंप’ कहते हैं और मैं कूद लगाती हूं। ’’
निधि ने 2018 जकार्ता एशियाई पैरा खेलों में कांस्य पदक जीता जिससे वह 2024 पेरिस में पोडियम स्थान हासिल करना चाहती हैं।
जब वह नौ साल की थीं तो उन्हें ‘रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा’ का पता चला जिससे उनकी दृष्टि पूरी तरह चली गयी।
उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं छोटी थी तब मैं देख सकती थी। पर 8-9 साल की उम्र में मेरी आंखों की रोशनी कम होने लगी। ’’
निधि ने इतिहास में डॉक्टरेट किया और अब वह ‘लेक्चरर’ हैं।
निधि ने कहा, ‘‘मैं पहले ही चक्का फेंक, गोला फेंक और 100 मीटर के लिये एशियाई पैरा खेलों के लिए क्वालीफाई कर चुकी हूं। मैं आज जो कुछ भी हूं उसके लिए अपने परिवार का धन्यवाद करती हूं। ’’
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 100 से ज्यादा पदक जीतने वाली निधि ने कहा, ‘‘ पेरिस 2024 का मुझे बेसब्री से इंतजार है। ’’
Source: PTI News