मुंबई, 14 मार्च ( भाषा ) घरेलू क्रिकेट की दिग्गज मुंबई ने आठ साल का इंतजार खत्म करते हुए अपना ही रिकॉर्ड बेहतर करके 42वीं बार रणजी ट्रॉफी खिताब जीता । फाइनल के पांचवें और आखिरी दिन मेजबान ने विदर्भ को 169 रन से हराया ।
टूर्नामेंट के इतिहास में 90 में से 48वीं बार मुंबई फाइनल में पहुंची थी । वानखेड़े स्टेडियम पर खेले गए फाइनल का नतीजा लगभग उसी समय तय हो गया था जब विदर्भ को 538 रन का लगभग नामुमकिन सा लक्ष्य मिला था ।
विदर्भ के कप्तान अक्षय वाडकर (102) और हर्ष दुबे (65) ने हालांकि पूरे पहले सत्र में मुंबई के गेंदबाजों को परेशान किया । विदर्भ ने पांच विकेट पर 248 रन से आगे खेलना शुरू किया था और उसे 290 रन और चाहिये थे । विदर्भ की टीम 368 रन पर आउट हो गई ।
वाडकर ने इस साल पहला शतक जड़ने के साथ ही सत्र में 600 रन का आंकड़ा भी पार किया । वहीं दुबे ने प्रथम श्रेणी कैरियर में दूसरा अर्धशतक जमाया । दोनों ने 194 मिनट और 255 गेंद तक चली साझेदारी निभाई ।
दूसरे सत्र का खेल शुरू होने के कुछ देर बाद ही वाडकर को तनुष कोटियान ने आउट किया । कोटियान ने 95 रन देकर चार विकेट लिये । यह साझेदारी टूटने के बाद विदर्भ की हार पर लगभग मुहर लग गई। विदर्भ दो बार खिताब जीतने के बाद तीन बार फाइनल हार गया है ।
तुषार देशपांडे ने शॉर्ट गेंद पर दुबे को आउट किया । दुबे ने 128 गेंद में पांच चौकों और दो छक्कों की मदद से 65 रन बनाये । देशपांडे ने ही आदित्य सरवटे को भी पवेलियन भेजा ।
कोटियान ने यश ठाकुर (छह) के रूप में चौथा विकट लिया । वहीं अपने कैरियर का आखिरी मैच खेल रहे धवल कुलकर्णी ने उमेश यादव का विकेट लेकर विदर्भ की पारी का पटाक्षेप किया ।
Source: PTI News