मीराबाई विश्व चैम्पियनशिप में नहीं उठायेंगी वजन, ओलंपिक क्वालीफिकेशन के लिए बस वजन करायेंगी

नयी दिल्ली, 29 अगस्त (भाषा) तोक्यो ओलंपिक रजत पदक विजेता मीराबाई चानू की निगाहें एशियाई खेलों में पदक जीतने पर लगी हैं इसलिये वह अगले हफ्ते होने वाली विश्व चैम्पियनशिप में वजन (बारबेल) नहीं उठायेंगी बल्कि पेरिस ओलंपिक के लिए अपनी हिस्सेदारी की जरूरी औपचारिकता पूरी करने के लिये ही जायेंगी।

नयी दिल्ली, 29 अगस्त (भाषा) तोक्यो ओलंपिक रजत पदक विजेता मीराबाई चानू की निगाहें एशियाई खेलों में पदक जीतने पर लगी हैं इसलिये वह अगले हफ्ते होने वाली विश्व चैम्पियनशिप में वजन (बारबेल) नहीं उठायेंगी बल्कि पेरिस ओलंपिक के लिए अपनी हिस्सेदारी की जरूरी औपचारिकता पूरी करने के लिये ही जायेंगी।

पेरिस ओलंपिक के लिए विश्व चैम्पियनशिप अनिवार्य क्वालीफाइंग टूर्नामेंट है जो चार सितंबर से रियाद में शुरु होगी जबकि एशियाई खेल इससे 20 दिन से भी कम समय में 23 सितंबर से चीन के हांगझोउ में आयोजित होंगे।

इन दो प्रतियोगिताओं के बीच इतना कम समय है कि इससे भारोत्तोलकों के लिए दोनों टूर्नामेंट में अपना वजन सही रखने और शिखर पर पहुंचना मुश्किल हो जायेगा। पर उन्होंने एशियाई खेलों को प्राथमिकता देने का फैसला किया क्योंकि उनके पदकों में सिर्फ इसी की कमी है।

मीराबाई 2017 में विश्व चैम्पियनशिप जीत चुकी हैं जिससे वह इससे हट सकती थीं लेकिन 2024 ओलंपिक क्वालीफिकेशन नियम के अंतर्गत एक भारोत्तोलक को 2023 विश्व चैम्पियनशिप और 2024 विश्व कप में हिस्सा लेना अनिवार्य है।

मुख्य कोच विजय शर्मा ने पीटीआई से कहा, ‘‘एशियाई खेलों और विश्व चैम्पियनशिप के बीच बहुत ही कम समय है। विश्व चैम्पियनशिप में भाग लेना अनिवार्य है तो हमने फैसला किया कि मीराबाई केवल रियाद जायेगी और अपना वजन करायेगी। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘वह सभी अनिवार्य ‘प्रोटोकॉल’ पूरे करेंगी जैसे डोप जांच (अगर जरूरी हुआ तो)। लेकिन वह कोई वजन नहीं उठायेगी। वह वहां सिर्फ भागीदारी के लिए जा रही है। ’’

अंतरराष्ट्रीय भारोत्तोलन महासंघ (आईडब्ल्यूएफ) नियमों के अनुसार एक भारोत्तोलक को विश्व चैम्पियनशिप में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने के लिए स्पर्धा करना जरूरी नहीं है बल्कि उसे वजन कराकर अपनी उपस्थिति दिखानी होगी।

मीराबाई 49 किग्रा वजन वर्ग में हिस्सा लेती हैं और उन्होंने विश्व चैम्पियनशिप में महज 60 किग्रा के वजन के लिए ही पंजीकरण किया है। इसके आधार पर उन्हें प्रतियोगिता के ग्रुप डी में रखा गया है। जो भारोत्तोलक ऊंचे वजन के लिए पंजीकरण कराता है, उसी के आधार पर उन्हें ग्रुप ए, ग्रुप बी आदि में जगह मिलती है।

वहीं मीराबाई के पदकों में केवल एशियाई खेलों के पदक की कमी है और इस मणिपुर की खिलाड़ी ने बार बार कहा है कि वह इस चरण में यह पदक जीतना चाहती हैं।

एशियाई खेलों में पदक जीतना हालांकि इतना आसान नहीं होगा क्योंकि इस महाद्वीपीय प्रतियोगिता में भारोत्तोलन के मजबूत देश जैसे चीन, कोरिया और थाईलैंड हिस्सा लेंगे।

शर्मा ने कहा, ‘‘हम एशियाई खेलों में 90 किग्रा (स्नैच में) पार करने का लक्ष्य बनाये हैं। हम काफी समय से इस वजन से ऊपर जाने का प्रयास कर रहे हैं। हम यहां ट्रेनिंग में मीरा के स्नैच पर ध्यान लगा रहे हैं। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमें मीरा के शरीर को भी ध्यान में रखना होगा। उसकी उम्र बढ़ रही है और उम्र बढ़ने के साथ चोटिल होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिये हमें उसके कार्यभार से सतर्क रहना होगा। ’’

शर्मा ने कहा, ‘‘इस समय वह अच्छी स्थिति में है। छोटी छोटी चोट लगती रहती हैं लेकिन कुछ भी गंभीर नहीं है। ’’

Source: PTI News

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