कोलकाता, 30 अगस्त (भाषा) दुनिया की सबसे कम उम्र की महिला ग्रैंडमास्टर (जीएम) कोनेरू हम्पी ने बुधवार को कहा कि शतरंज विश्व कप में युवा भारतीयों की हालिया सफलता विश्वनाथन आनंद की विरासत को आगे ले जाएगी।
आर प्रज्ञानानंदा पिछले हफ्ते विश्व कप उपविजेता बनने वाले 18 साल के सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बने। अपने अभियान के दौरान, उन्होंने आठ-खिलाड़ियों के कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में भी अपनी जगह पक्की कर ली, जो 2024 में शतरंज में विश्व चैंपियन डिंग लिरेन के लिए चुनौती का निर्धारण करेगा।
बाकू में हाल ही में संपन्न विश्व कप में चार भारतीय क्वार्टर फाइनल में पहुंचे, जिनमें डी गुकेश, अर्जुन एरिगैसी और विदित गुजराती भी शामिल थे।
कम उम्र में सफलता हासिल करने के तरीके को जानने वाली हम्पी ने कहा,‘‘ निश्चित तौर पर प्रज्ञानानंदा ने विश्व कप में शानदार प्रदर्शन किया। हमने डी गुकेश के साथ अर्जुन और निहाल (सरीन) के प्रदर्शन को भी देखा। ये प्रतिभाशाली खिलाड़ियों का समूह है। हर किसी के पास अलग तरह की कौशल है और ये भी एक दूसरे से काफी अलग हैं।’’
महज 15 साल की उम्र में महिला ग्रैंड मास्टर बनी हम्पी शुक्रवार से यहां शुरू हो रहे टाटा स्टील शतरंज चैम्पियनशिप में चुनौती पेश करेंगी।
एशियाई खेलों में दो बार स्वर्ण जीतने वाली इस खिलाड़ी को उम्मीद है कि भारत के पास जल्द ही 100 ग्रैंडमास्टर होंगे।
भारत को इस साल जुलाई में अपना 83वां ग्रैंडमास्टर (आदित्य सामंत) मिला था।
उन्होंने कहा, ‘‘ लोग हमेशा मानते थे कि भारत क्रिकेट के लिए अधिक लोकप्रिय है, लेकिन हम इसे बदल रहे हैं। शतरंज भी उतना ही महत्वपूर्ण होता जा रहा है। अब आप किसी भी घर में शतरंज खिलाड़ियों के नाम सुन सकते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ इस खेल में काफी हद तक बदलाव आया है। पहले बहुत कम दर्शक आते थे लेकिन अब खेल से बहुत सारे कॉर्पोरेट्स भी जुड़े रहे हैंं और प्रतिभाशाली खिलाड़ियों का समर्थन कर रहे हैं।’’
Source: PTI News