मेरा लक्ष्य आने वाली पीढ़ियों को रग्बी में प्रशिक्षित करना है: भारतीय रग्बी खिलाड़ी- आकाश बाल्मीकि

2007 से रग्बी खेलते हुए आकाश बाल्मीकि ने 2013 में U19 एशियाई चैम्पियनशिप और तीन राष्ट्र सेवन्स टूर्नामेंट के बड़े स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व किया है। कोलकाता के, 26 वर्षीय खिलाड़ी देश में रग्बी को बढ़ावा देने में भूमिका निभाने की इच्छा रखते है और चाहते है कि
भावी पीढ़ियों को उच्चतम स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए प्रशिक्षित करें।
इस विशेष साक्षात्कार में, आकाश भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले रग्बी से अपने परिचय के बारे में बात करते है, कोलकाता में खेल की लोकप्रियता, चुनौतियों से पार पाना, कोच बनने का उनका लक्ष्य और उनका भविष्य की आकांक्षाएं के बारे में भी बताते हैं।

प्रश्न 1) आपको रग्बी में किसने इंट्रोड्यूस किया और इस खेल को प्रोफेशनल्ली अपनाने के लिए किस बात ने प्रेरित किया?

शुरुआत में मैं उन सभी सीनियर्स को फॉलो करता था जो मैच खेलने के लिए विदेश जाते थे। यह मेरे लिए प्रेरणादायक था और इसने मुझे इस खेल को आजमाने के लिए प्रेरित किया क्योंकि मुझे लगा कि
अगर वे ऐसा कर सकते हैं तो मैं भी कर सकता हूं। मेरी महत्वाकांक्षा दूसरे देशों में खेलने जाने की थी 
जो मेरे सीनियर्स को देखने से आया।

Q 2) आपने 2013 में U19 एशियाई चैम्पियनशिप और तीन देशों की 7 टूर्नामेंट में भारत का प्रतिनिधित्व किया। आपका  अनुभव कैसा था और इन इवेंट्स में आपकी उपलब्धि क्या थी?  

वह मेरे लिए बहुत खास पल था क्योंकि मैं पहली बार भारत का प्रतिनिधित्व कर रहा था।

टूर्नामेंट पाकिस्तान में था और मुझे वहां एक अविश्वसनीय अनुभव था। लोग बहुत मिलनसार और स्वागत करने वाले थे। मुझे ऐसा नहीं लगा कि यह पाकिस्तान है, ऐसा लगा कि मैं अभी भी भारत में हूं।
समाचार चैनल अक्सर पाकिस्तान को गलत तरीके से पेश करते हैं जो निश्चित रूप से ऐसा नहीं है। नये खिलाड़ियों से मिलना, मेरा पहला अंतरराष्ट्रीय मैच खेलना मेरे लिए बहुत गर्व का क्षण था और कुल मिला कर एक  विशेष अनुभव था।

Q 3) आप कोलकाता से हैं, तो वहाँ रग्बी एक उभरता हुआ खेल है?

मैं कहूंगा कि यह काफी लोकप्रिय है और कोलकाता में बहुत खेला जाता है। हमारे पास कोलकाता कप है जो सबसे पुराने टूर्नामेंट के रूप में जाना जाता है जिसमें ब्रिटिश खेलते थे और हम अभी भी इसे खेलते हैं। भारत में ज्यादातर मैच कोलकाता में ही होते हैं।

Q 4)इंडिया में एक रग्बी खिलाड़ी होने के नाते आपके सबसे बड़े चैलेंजे क्या थे? 

मेरे U19 दिनों के बाद से, मेरे लिए चुनौती न केवल बेहतर प्रदर्शन करने की थी, बल्कि टीम के अधिक अनुभवी और वरिष्ठ सदस्यों के सामने इसे बनाए रखने में सक्षम होने की भी थी। बचपन से ही मैं काफी आत्मनिर्भर रहा हूं जिसने मुझे किसी भी कठिन परिस्थिति के अनुकूल होने में मदद की है। टीम के सीनियर्स के साथ प्रतिस्पर्धा करने से मेरे आत्मविश्वास का स्तर धीरे-धीरे बढ़ा। 

Q 5) क्या आपको विश्वास है कि भविष्य के रग्बी प्लेयर्स को ट्रेन करने केलिए आप कोच बन सकते है? 

हां, मैं भारत के रग्बी खिलाड़ियों को कोचिंग देना चाहता हूं। कोलकाता और बैंगलोर में, भावी पीढ़ी के बहुत सारे रग्बी खिलाड़ी को  प्रशिक्षित करता हूँ क्योंकि इससे मुझे उन्हें प्रशिक्षित करने में खुशी मिलती है। मेरे बचपन मे मुझे अपने ज्ञान और अनुभव को साझा करने के लिए कहा गया था,  और मैं उसका पालन करने का इरादा रखता हूं। मेरे बाद रग्बी करियर यह कुछ ऐसा है जो मैं करना चाहता हूं।

Q 6) रग्बी खिलाड़ी के रूप में आपके भविष्य के लक्ष्य क्या हैं? आप उन्हें किस तरह हासिल करने की योजना बना रहे हैं?

मेरा वर्तमान लक्ष्य युवा पीढ़ी के साथ खेल के बारे में अपने अनुभव को साझा करना है और उम्मीद है कि एक अनुभवी कोच के तहत काम कर सकू और अंततः  मुख्य कोच की भूमिका निभाना हैं।

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