जूनियर टीम के साथ ’रिलेशनशिप कोच’ के तौर पर हूं: ग्राहम रीड

भुवनेश्वर, 12 नवंबर (हॉकी न्यूज़)  एफआईएच (अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ) जूनियर विश्व कप के लिए भारतीय टीम की तैयारियों की देखरेख करने वाले सीनियर पुरुष टीम के मुख्य कोच ग्राहम रीड ने जूनियर टीम के लिए खुद को एक ‘रिलेशनशिप कोच’ कोच करार देते हुए कहा कि उनका काम खिताब का बचाव करने के लिए खिलाड़ियों के काम को आसान करना है।

भारतीय टीम ने 2016 में लखनऊ में आयोजित हुए जूनियर विश्व कप का खिताब जीता था। टीम आगामी विश्व कप में पूल बी में अपने अभियान का आगाज 24 नवंबर को फ्रांस के खिलाफ मैच से करेगी।

तोक्यो ओलंपिक में भारत को ऐतिहासिक कांस्य पदक दिलाने के बाद अहम भूमिका निभाने वाले  रीड ने भुवनेश्वर आने से पहले साइ (भारतीय खेल प्राधिकरण) के बेंगलुरु परिसर में जूनियर कोच बीजे करियप्पा के साथ मिलकर काम किया था।

रीड ने एक ऑनलाइन मीडिया सम्मेलन में कहा, ‘‘ मेरे लिये यह चीजों को आसान बनाने के बारे में है। मैं खिलाड़ियों में उस जज्बे और मूल्यों का संचालन करना चाहूंगा जो सीनियर टीम में है। यह किसी चीज का फिर से गठन करने की जगह उसे सरल करने के बारे में है। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘ सच कहूं तो, मैं पिछले महीने में निश्चित रूप से एक ‘रिलेशनशिप कोच’ रहा हूं ।  प्रत्येक खिलाड़ी के साथ अच्छा संबंध होना वास्तव में महत्वपूर्ण है ताकि जब उनका मनोबल गिरा हो तो उसका कारण पता चल सके।’’

महामारी के कारण इस भारतीय टीम के खिलाड़ियों को अभ्यास के लिए विदेश दौरे पर जाने का मौका नहीं मिला। उन्होंने हालांकि ओलंपिक से पहले सीनियर टीम के साथ कुछ अभ्यास मैच खेले थे।

रीड ने कहा, ‘‘ अगर आपको याद हो तो तोक्यो जाने से पहले उन्होंने सीनियर खिलाड़ियों के खिलाफ अभ्यास मैच खेला था, वह दोनों टीमों के लिए अहम  था।’’

रीड ने कहा कि सीनियर खिलाड़ियों का शिविर भी एक सप्ताह के अंदर भुवनेश्वर में स्थानांतरित कर दिया जाएगा ताकि जूनियर खिलाड़ियों को अधिक अभ्यास मैच मिल सकें।

भारत की 18 सदस्यीय जूनियर टीम का नेतृत्व विवेक सागर प्रसाद करेंगे, जो कांस्य पदक जीतने वाली ओलंपिक टीम के सदस्य थे।

यह पूछे जाने पर कि क्या तोक्यो की उपलब्धि के बाद उन पर अतिरिक्त दबाव होगा, इस 57 वर्षीय कोच  ने कहा, ‘‘मुझे ऐसा नहीं लगता। पहले से ही काफी दबाव है।’’

इस दिग्गज ऑस्ट्रेलियाई कोच ने कहा, ‘‘जब आप मौजूदा चैंपियन होते हैं, तो पहले से ही कुछ अतिरिक्त दबाव होता है। लेकिन लोगों को यह बात समझने की जरूरत है कि  चार साल पहले की तुलना में यह पूरी तरह से अलग टीम है।’’

 

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