नयी दिल्ली, 30 मार्च (क्रिकेट न्यूज़) दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) पिछले दो घरेलू सत्र में राज्य की सीनियर टीम के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद अनुभवी कोच राजकुमार शर्मा को उनके पद पर बरकरार नहीं रखेगा।
द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता राजकुमार को विराट कोहली के बचपन के कोच के रूप में जाना जाता है।
दिल्ली की टीम का रणजी ट्राफी में अच्छा प्रदर्शन नहीं रहा था। वह
झारखंड से बुरी तरह हारने के कारण अपने ग्रुप में सबसे निचले स्थान पर रही थी और नॉकआउट के लिये क्वालीफाई नहीं कर पायी थी जिसके बाद माना जा रहा था कि राजकुमार को बर्खास्त कर दिया जाएगा।
नीतिगत फैसलों की जानकारी रखने वाले डीडीसीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई से कहा, ‘‘डीडीसीए के पूरे कोचिंग ढांचे को नया रूप दिया जाएगा और इसलिए अगले सत्र में राजकुमार के अनुबंध को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा।’’
राजकुमार का टीम के सीनियर कोच के रूप में कार्यकाल दिल्ली क्रिकेट के हाल के वर्षों में सबसे खराब रहा।
राजकुमार के कोच रहते हुए दिल्ली पिछले साल विजय हजारे और सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में नॉकआउट तक पहुंचने में नाकाम रही थी।
इस साल टीम का प्रदर्शन और बुरा रहा और वह सभी टूर्नामेंट में ग्रुप चरण से आगे नहीं बढ़ पायी।
इसके बाद टीम में अंतिम एकादश के चयन को लेकर सवाल उठने लगे थे कि लंबे प्रारूप के अच्छे खिलाड़ियों में से एक आयुष बडोनी को क्यों नजरअंदाज किया गया, तेज गेंदबाज सिमरजीत सिंह को क्यों नहीं चुना गया और मयंक यादव जैसी युवा प्रतिभा को एक भी मौका क्यों नहीं दिया गया।
पता चला है कि डीडीसीए अध्यक्ष रोहन जेटली दिल्ली में लाल गेंद की क्रिकेट को पुनर्जीवित करने के लिये संबंधित लोगों के साथ चर्चा कर रहे हैं।
जेटली ने पीटीआई से कहा, ‘‘ हमने आगे की रणनीति तय करने के लिये एक समिति गठित की है जिसमें मदन लाल, विनय लांबा और सुनील वाल्सन शामिल हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अब समय आ गया है कि हम आत्ममंथन करें कि ऋषभ पंत के भारतीय टीम में चुने जाने और गौतम गंभीर के संन्यास के बाद हमने नेतृत्वकर्ता के रूप में किसी को तैयार क्यों नहीं किया। इसकी शुरुआत अंडर-16 से होती है। यह लंबी प्रक्रिया है।’’
भाषा
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