(जी उन्नीकृष्णन)
कोलंबो, 13 सितंबर (भाषा) श्रीलंका की 1996 विश्व कप विजेता टीम का हिस्सा रहे लेग स्पिनर उपुल चंदना ऐसे खिलाड़ी हैं जो टीम में शामिल होने के बावजूद इस पूरे टूर्नामेंट के एक मैच में भी नहीं खेल सके और उन्होंने ‘डगआउट’ से ही इतिहास बनते हुए देखा।
श्रीलंका के लिए 147 वनडे और 16 टेस्ट खेलने वाले चंदना को तब भी इस बात के लिए कोई मलाल नहीं था और आज भी नहीं है।
चंदना ने पीटीआई से कहा, ‘‘मैं अपने देश के लिए विश्व कप विजेता खिलाड़ी हूं। यह मायने नहीं रखता कि मैं अंतिम एकादश का हिस्सा था या नहीं। जीत टीम के एकजुट प्रदर्शन का परिणाम थी। ’’
श्रीलंका ने 1996 विश्व कप में छुपेरूस्तम के तौर प्रवेश किया था जिसका आयोजन भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका में किया गया था।
लेकिन चंदना ने कहा कि टीम आत्मविश्वास से भरी हुई थी क्योंकि कप्तान अर्जुन रणतुंगा ने सभी को प्रोत्साहित रखा हुआ था।
इस लेग स्पिनर ने कहा, ‘‘विश्व कप से पहले, अर्जुन ने सुनिश्चित किया कि टीम के सभी सदस्य अच्छे ‘मूड’ में रहें। हम कोलंबो में इकट्ठा हुए थे। उन्होंने खिलाड़ियों को ट्रेनिंग और रहने की सुविधायें मुहैया कराने के लिए अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास किये। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम टूर्नामेंट में एक बड़े परिवार जैसा महसूस कर रहे थे और कप्तान ने कभी भी इस माहौल को बिगड़ने नहीं दिया। उनकी कप्तानी ने हमें पहला विश्व कप जीतने में बड़ी भूमिका निभायी। ’’
चंदना अब पूर्णकालिक कोच हैं, उन्होंने रणतुंगा को बेहद चालाक रणनीतिज्ञ बताया। उन्होंने कहा, ‘‘यह उनका ही विचार था कि हमने सनत (जयसूर्या) और कालू (रोमेश कालूवितर्णा) को सलामी बल्लेबाज के तौर पर इस्तेमाल किया। यह ‘मास्टरस्ट्रोक’ था क्योंकि अन्य टीम पावरप्ले में इस तरह की बल्लेबाजी के लिए तैयार नहीं थीं। ’’
आस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज दोनों ने ही ‘सेंट्रल बैंक’ में आत्मघाती बमबारी के बाद सुरक्षा चिंताओं के कारण श्रीलंका का दौरा नहीं किया था जिससे श्रीलंका को ‘वॉकओवर’ से विजेता घोषित किया गया।
ग्रुप चरण में टीम का सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी भारत था जिसमें उन्होंने फिरोजशाह कोटला मैदान पर छह विकेट से जीत हासिल की।
चंदना ने कहा, ‘‘उन्होंने (आस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज) ने श्रीलंका की यात्रा करने से इनकार कर दिया था जिससे थोड़ा गुस्सा भरा हुआ था। लेकिन हमने नयी दिल्ली में जब भारत को हराया तो हम जान गये थे कि हम अन्य टीम को भी हरा सकते हैं और लोगों ने हमें अधिक गंभीरता से लेना शुरु कर दिया। ’’
ग्रुप चरण के शानदार प्रदर्शन के बाद श्रीलंका ने नॉकआउट चरण में प्रवेश किया लेकिन उनकी सबसे बड़ी परीक्षा कोलकाता के ईडन गार्डन्स में भारत के खिलाफ सेमीफाइनल में थी।
चंदना ने कहा कि मैच के दौरान दर्शकों का उग्र बर्ताव उनके लिए भयावह अनुभव रहा। उन्होंने कहा, ‘‘यह बड़ा मैच था और भारत प्रबल दावेदार था क्योंकि टीम अपनी सरजमीं पर खेल रही थी। भारत ने जब विकेट गंवाना शुरु कर दया तो दर्शक उग्र हो गये और उन्होंने मैदान पर चीजें फेंकना शुरु कर दिया। ‘‘
उन्होंने कहा, ‘‘रोशन महानामा की मांसपेशियों में खिंचाव हो रहा था। मैं 12वां खिलाड़ी था। मैं अर्जुन के पास गया और उनसे कहा कि मुझे बाउंड्री के करीब क्षेत्ररक्षण करने दो क्योंकि अरविंद (डिसिल्वा) वहां खड़े थे। वह हमारे बहुत महत्वपूर्ण खिलाड़ी थे और शानदार फॉर्म में थे। मैं नही चाहता था कि उन्हें कुछ हो। ’’
चंदना ने याद करते हुए कहा कि उस मैच के बाद कड़ी सुरक्षा में टीम को होटल में पहुंचाया गया था।
चंदना के पास हालांकि अंतिम एकादश में शामिल होने का मौका आया था क्योंकि टीम उन्हें फैसलाबाद में इंग्लैंड के खिलाफ क्वार्टरफाइनल मैच में चुनना चाहती थी लेकिन वह नहीं चाहते थे कि विजयी संयोजन में छेड़छाड़ की जाये।
उन्होंने कहा, ‘‘वे एक और स्पिनर चाहते थे और रोशन (महानामा) को आराम दिया गया था। लेकिन वह अच्छा खेल रहे थे। टीम बैठक में मैंने अर्जुन को कहा कि मुझे नहीं चुने। उन्हें यह बात पसंद नहीं आयी और उन्होंने मुझसे पूछा, क्यों तुम खेलने से डर रहे हो?’’
उन्होंने कहा, ‘‘तो मैंने कहा कि विजयी संयोजन में छेड़छाड़ नहीं करो। उनसे और टीम मैनेजर (दलीप मेंडिंस) से थोड़ी बातचीत के बाद उन्होंने वही अंतिम एकादश के साथ खेलने का फैसला किया और मुझे इस फैसले पर कोई पछतावा नहीं है। ’’
चंदना ने कहा कि श्रीलंका जब चैम्पियन के तौर पर घर पहुंची तो टीम का भव्य स्वागत किया गया और लाहौर से जिस चार्टर्ड फ्लाइट से खिलाड़ी स्वदेश पहुंचे थे, उसके पायलट पूर्व श्रीलंकाई क्रिकेटर सुनील वेटीमुनी थे।
Source: PTI News