विनेश फोगाट खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार लौटाएगी

नयी दिल्ली, 26 दिसंबर (भाषा) विश्व चैम्पियनशिप की पदक विजेता विनेश फोगाट ने मंगलवार को अपना खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार प्रधानमंत्री को लौटाने का फैसला किया और कहा कि जब पहलवान न्याय पाने के लिए बुरी तरह संघर्ष कर रहे हैं तब इस तरह के सम्मान निरर्थक बन गए हैं।

नयी दिल्ली, 26 दिसंबर (भाषा) विश्व चैम्पियनशिप की पदक विजेता विनेश फोगाट ने मंगलवार को अपना खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार प्रधानमंत्री को लौटाने का फैसला किया और कहा कि जब पहलवान न्याय पाने के लिए बुरी तरह संघर्ष कर रहे हैं तब इस तरह के सम्मान निरर्थक बन गए हैं।

इस पहलवान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे गए पत्र में यह घोषणा की। उन्होंने पत्र को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया है। उन्होंने कहा कि उनकी जिंदगी सरकार के उन फैंसी विज्ञापनों जैसी नहीं है जिनमें महिला सशक्तिकरण और उनके उत्थान की बात की जाती है।

विनेश ने अपने पत्र में कहा है, ‘‘मुझे मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार दिया गया था जिनका अब मेरी जिंदगी में कोई मतलब नहीं रह गया है। हर महिला सम्मान से जीना चाहती है। इसलिए प्रधानमंत्री सर, मैं अपना मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार आपको वापस करना चाहती हूँ ताकि सम्मान से जीने की राह में ये पुरस्कार हमारे ऊपर बोझ न बन सकें।’’

विनेश को 2020 में भारत के सर्वोच्च खेल सम्मान खेल रत्न से सम्मानित किया गया था। इससे पहले उन्हें 2016 में अर्जुन पुरस्कार मिला था।

विनेश से पहले ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया और डेफलंपिक्स के चैंपियन वीरेंदर सिंह यादव ने अपने पद्मश्री पुरस्कार लौटा दिए थे।

गुरुवार को संजय सिंह को भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) का अध्यक्ष चुना गया था। बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय के गुट ने इन चुनाव में 15 में से 13 पद जीते थे।

पहलवानों ने इससे पहले मांग की थी कि बृज भूषण का कोई भी करीबी डब्ल्यूएफआई प्रशासन में नहीं होना चाहिए। चुनाव के बाद रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक ने खेल से संन्यास लेने की घोषणा की थी।

विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक ने बृजभूषण पर कई महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था। उन्होंने इस साल के शुरू में जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन भी किया था। यह मामला अब दिल्ली की अदालत में लंबित है।

खेल मंत्रालय ने फैसला करते समय अपने संविधान के प्रावधानों का पालन नहीं करने पर नव निर्वाचित पैनल को निलंबित कर दिया था और भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को कुश्ती के संचालन के लिए एक तदर्थ पैनल का गठन करने के लिए कहा था।

इस बीच खेल मंत्रालय ने कहा कि वह अपनी तरफ से काफी प्रयास कर चुका है और फिर से अपना फैसला बदलने के लिए उन्हें मनाने की कोशिश करेगा।

मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘हमने इस मामले में संज्ञान लेते हुए पहले ही डब्ल्यूएफआई की नवनिर्वाचित संस्था को निलंबित कर दिया। हमने अपने संविधान के प्रावधानों का पालन नहीं करने के लिए नई संस्था को निलंबित किया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘पुरस्कार लौटाना उनके विरोध का तरीका है। लेकिन हम पहले ही भारतीय ओलंपिक संघ को तदर्थ समिति गठित करने के लिए कह चुके हैं जो नए चुनाव होने तक डब्ल्यूएफआई का कामकाज देखेगी। हम पहलवानों को समझाने की कोशिश करेंगे और उनसे पुरस्कार वापस लेने का आग्रह करेंगे।’’

फोगाट ने कहा कि जब उन्हें सरकार के संदेशों को लोगों तक पहुंचाने के लिए चुना गया तो वह बेहद खुश थी लेकिन मौजूदा स्थिति से वह निराश हैं।

उन्होंने कहा,‘‘मुझे साल याद है 2016 जब साक्षी मलिक ओलंपिक में पदक जीतकर आई थी तो आपकी सरकार ने उन्हें ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ की ब्रांड एम्बेसडर बनाया था। जब इसकी घोषणा हुई तो देश की हम सारी महिला खिलाड़ी खुश थीं और एक दूसरे को बधाई के संदेश भेज रही थीं।’’

विनेश ने कहा,‘‘ आज जब साक्षी को कुश्ती छोड़नी पड़ी तब से मुझे वह साल 2016 बार बार याद आ रहा है। क्या हम महिला खिलाड़ी सरकार के विज्ञापनों पर छपने के लिए ही बनी हैं। हमें उन विज्ञापनों पर छपने में कोई एतराज़ नहीं है, क्योंकि उसमें लिखे नारे से ऐसा लगता है कि आपकी सरकार बेटियों के उत्थान के लिए गंभीर होकर काम करना चाहती है।’’

उन्होंने कहा,‘‘मैंने ओलंपिक में पदक जीतने का सपना देखा था, लेकिन अब यह सपना भी धुंधला पड़ता जा रहा है। बस यही दुआ करूँगी कि आने वाली महिला खिलाड़ियों का यह सपना ज़रूर पूरा हो। ’’

भाषा

Source: PTI News

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